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नेता बनने के बाद विवादों में किरण बेदी, गूगल सर्च में रहीं नंबर वन

बीजेपी की ओर से दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी इस हफ्ते गूगल पर सबसे ज्यादा खोजी गईं शख्सियत रहीं. 'kiran bedi – Indian politician' सबसे ज्यादा सर्च किया जानेवाला टॉपिक रहा.

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किरण बेदी
किरण बेदी

बीजेपी की ओर से दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी इस हफ्ते गूगल पर सबसे ज्यादा खोजी गईं शख्सियत रहीं. लोगों ने अच्छे और बुरे दोनों तरह के कीवर्ड्स से किरण बेदी को सर्च किया. 'kiran bedi – Indian politician' सबसे ज्यादा सर्च किया जानेवाला टॉपिक रहा. पुलिस सेवा में अपने 40 साल के कार्यकाल में किरण बेदी अक्सर ही सुर्खियों में रहीं - खासकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार के चालान को लेकर. किरण बेदी की बीजेपी में पैराशूट एंट्री भी बड़ी खबर बनी.  और उसके बाद से यह सिलसिला जारी है-  

1. थानेदार या नेता?
दिल्ली के कुछ सांसदों को किरण बेदी का चाय पर बुलाना बेहद नागवार गुजरा. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने तो इस पर यहां तक कह डाला कि यहां थानेदार नहीं बल्कि नेता की जरूरत है. हालांकि ऊपर से फटकार के बाद वो अपने बयान से पलट गए. अपने रोड शो के दौरान किरण बेदी ने बगैर हेल्मेट पहने एक बाइक सवार को रोका और उसे ट्रैफिक नियमों का पालन करने को कहा. इसको लेकर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई कि पुलिसगीरी बेदी पर अब भी हावी है.

2. नहीं थम रहा हंगामा
किरण बेदी ने 16 जनवरी को बीजेपी ज्वाइन की. 19 जनवरी को उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया, तब से लेकर 21 जनवरी को उनके नामांकन तक बीजेपी दफ्तर पर नेताओं के समर्थक हंगामा कर रहे हैं. इस दौरान बीजेपी नेता प्रभात झा के साथ धक्का-मुक्की भी हुई. बवाल शांत कराने के लिए दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को कहना पड़ा कि किरण बेदी के विरोध में कोई नारेबाजी नहीं हो रही है और बीजेपी के भीतर सब कुछ ठीक चल रहा है.

3. मूर्ति को बीजेपी का गमछा पहनाया
कृष्णा नगर से अपने नामांकन से पहले किरण बेदी ने लाला लाजपत राय की मूर्ति को बीजेपी का अंगवस्त्रम पहना कर विवाद खड़ा कर दिया. बेदी ने प्रतिमा की साफ सफाई भी की.

4. टीवी शो बीच में ही छोड़ा
किरण बेदी ने आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के बहस के आमंत्रण को ड्रामा करार दिया. मंगलवार को एक टीवी शो के दौरान किरण बेदी इस कदर नाराज हो गईं कि प्रोग्राम के बीच में ही उठ गईं.

बीजेपी में आमतौर पर पार्टी नेताओं या फिर आरएसएस बैकग्राउंडवालों को ही इस तरीके से प्रोजेक्ट किया जाता है. दिल्ली में सुषमा स्वराज को भी एक बार ऐसे प्रोजेक्ट किया गया था. लेकिन किरण बेदी को यह मौका मिलना चौंकाने वाला ही है.

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