देश में घटते लिंगानुपात पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है. कोर्ट ने सवाल उठाया, आखिर क्या वजह है कि 1950 में जो लिंगानुपात 970 के आसपास था वह तेजी से गिरता जा रहा है? देश में बढ़ते लिंगानुपात के अंतर को कम क्यों नहीं किया जा सका? आखिर क्या वजह है कि लोग जन्म से पहले लिंग परीक्षण कराते हैं?
ओडिशा के रिपोर्ट कार्ड पर चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने खास तौर पर ओडिशा के दो जिलों की वस्तुस्थिति पर चिंता जताई. यहां लिंगानुपात 900 से भी कम हो गया है. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा रवैये से अंतर को कम नहीं किया जा सकता. इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा और कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध को अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी.
यूपी, दिल्ली, हरियाणा सरकार को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा , उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश सहित दूसरे राज्यों की ओर से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल न करने पर ऐतराज जताया . कोर्ट ने कहा कि आदेश के मुताबिक हर तीन महीने में राज्यों को कन्या के जन्म पंजीकरण की जानकारी केंद्र सरकार की कमेटी को देनी थी. लेकिन राज्य सरकारों ने ऐसा नहीं किया.
दिया 30 नवंबर तक का समय
कोर्ट ने कहा उन राज्यों को 30 नवंबर तक की मोहलत दी है, जिन्होंने अनुपालन रिपोर्ट अब तक केंद्र सरकार की कमेटी को नहीं भेजी है. इसके बाद की तिमाही रिपोर्ट हर राज्य 10 अप्रैल तक केंद्र को सौंपे. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ पंजाब की याचिका पर सुनवाई करते हुए दी.