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Opinion: लखवी को जमानत क्यों?

मुंबई हमलों के मुख्य आरोपी ज़ाकिउर रहमान लखवी को पाकिस्तानी अदालत से जमानत मिलना वहां की न्याय व्यवस्था की विफलता है.सारी दुनिया जानती है कि इस वहशी ने कैसे पाकिस्तानी आतंकियों से मुंबई में बेगुनाह नागरिकों को मारने को कहा था.

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Zaki-ur-Rehman Lakhv
Zaki-ur-Rehman Lakhv

मुंबई हमलों के मुख्य आरोपी ज़ाकिउर रहमान लखवी को पाकिस्तानी अदालत से जमानत मिलना वहां की न्याय व्यवस्था की विफलता है. सारी दुनिया जानती है कि इस वहशी ने कैसे पाकिस्तानी आतंकियों से मुंबई में बेगुनाह नागरिकों को मारने को कहा था. इस बात की पुष्टि उसके साथी डेविड हेडली और अबू जुंदाल ने भी की है. उसकी आवाज़ के सैंपल अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पास हैं जिन्होंने माना कि मुबंई हमलों के दौरान जिस आदमी की आवाज़ उस ओर से आ रही थी वह लखवी ही था. जुंदाल ने तो यहां तक बताया कि जिस दिन मुबंई में हमला हुआ उस दिन लखवी वहां से फोन पर सीधे आतंकियों को निर्देश दे रहा था. वह सीधे तौर पर मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार है जिसमें 166 बेगुनाह लोग मारे गए थे.

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भारत ने पाकिस्तान को तमाम सबूत मुहैया कराए थे और उनके आधार पर मुकदमा चलना शुरू हुआ. शुरू में तो पाकिस्तान की इसमें दिलचस्पी नहीं थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव से वह झुका और इसकी शुरूआत की गई. यह मुकदमा बड़ी मुश्किल से चला, कभी जज बदल जाते तो कभी लोग नहीं आते. जिन जजों ने ईमानदारी से इस मामले को देखना शुरू किया उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलीं. एक जज तो मुकदमा छोड़कर ही चले गए. तारीख पर तारीख लगती चली गई, असल मुकदमा तो कभी शुरू ही नहीं हुआ. बहरहाल यह सुकून था कि वह जेल में बंद था लेकिन अब तो हद हो गई कि एक जज ने उसे जमानत ही दे दी. हालांकि वह जेल में भी रहकर शाही जिंदगी जी रहा था और परोल पर बराबर बाहर आता रहा. दरअसल लखवी जिस गिरोह का सरगना रहा वह आईएसआई का खास था और वह प्रॉक्सी वार के लिए भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता रहा.

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आईएसआई ने समय-समय पर भारत को चोट पहुंचाने के लिए आतंकियों का सहारा लिया है. लश्कर ए तोयबा वह गिरोह है जिसने इसमें जबर्दस्त रुचि ली और भारत में आतंकी कार्रवाइयों को अंजाम दिया. मुंबई हमलों में गिरफ्तार अजमल कसाब ने भी इस बात की तस्दीक की है कि आईएसआई का एक मेजर उन्हें ट्रेनिंग देता था. भारत में सीमा पार से आतंकवाद बढ़ाने में आईएसआई की बड़ी भूमिका रही है और उसने कई हमले इस तरह के भाड़े के टट्टुओं या मज़हब के नाम पर पागल हुए युवाओं से करवाए हैं. ठीक इसी तरह तालिबानियों ने बेगुनाह बच्चों को पेशावर में मरवाया. उनके सरगना ने फोन पर उसी तरह से निर्देश दिए जैसे लखवी देता था. मतलब साफ है कि आतंकवाद किसी का साथ नहीं देता. और अब जबकि पाकिस्तान को गहरी चोट पहुंची है, उसे यह समझना होगा कि हत्यारे या आतंकवादी अच्छे या बुरे नहीं होते. वे सिर्फ बुरे होते हैं. वे मानवता के दुश्मन हैं और उनका अंत होना जरूरी है. यह तो अच्छा हुआ कि पाकिस्तान के हुक्मरान समय रहते हुए चेत गए और उन्होंने लखवी को दूसरे आरोप में अंदर कर दिया.

उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया है कि वे निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे. लखवी का बाहर रहना और उस पर मुकदमा ने चलना बड़ी बुरी स्थिति होती. उससे उन जैसे लोगों की हिम्मत बढ़ती और वे ऐसे अमानवीय कृत्य करवाते रहते. पेशावर की दुखद घटना के बाद तो पाकिस्तान सरकार को आतंकवाद के बारे में फिर से नीति बनानी होगी. उसे सोचना होगा कि आखिर कैसे इस क्षेत्र में अमन-चैन रहे और सभी देश मिलकर तरक्की करें ठीक आसियान के देशों की तरह.

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