एक दौर था, जब अमेरिका नरेंद्र मोदी को वीजा देने से ही इनकार कर रहा था. एक यह दौर है, जब अमेरिका मोदी सरकार से रिश्ते बढ़ाने को आतुर है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की भारत यात्रा से पहले ही एक रिपोर्ट जारी की गई, जिससे यह पता चलता है कि अमेरिका की नजर में मोदी अब गुजरात दंगों के 'दागी' नहीं रहे.
दरअसल, अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अपनी सालाना International Religious Freedom Report जारी की है. रिपोर्ट में साल 2007 के बाद से पहली बार 2002 के गुजरात दंगों के बारे में नरेंद्र मोदी से जुड़े सभी जिक्र हटा दिए गए हैं. यह न केवल मोदी के लिए, बल्कि दोनों देशों से रिश्तों के लिहाज से भी बड़ा परिवर्तन माना जा सकता है.
अमेरिका के बदलते रुख का पता विदेश मंत्री जॉन केरी के बयान से भी लगाया जा सकता है. केरी ने अपनी भारत यात्रा से पहले कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के नजरिए 'सबका साथ, सबका विकास' का वॉशिंगटन समर्थन करना चाहता है. अमेरिकी थिंक टैंक 'सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस' (सीएपी) में अपने संबोधन के दौरान केरी ने मोदी का 11 बार नाम लिया.
बहरहाल, अमेरिका ने हवा के बदलते रुख को देखकर ही अपना नजरिया बदला है. वैसे भी अगर बात बड़े पैमाने पर बाजार और कारोबार से जुड़ी हो, तो 'दाग' की परवाह कौन करता है?