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पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद चीन ने इंदिरा गांधी को बताया था पाखंडी

चीनी राजनयिकों ने भारत सरकार की उस दलील को बेतुका करार दिया था जिसमें यह कहा गया था कि 1974 में उसका पहला परमाणु परीक्षण शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने पिता से ‘पाखंड विरासत में प्राप्त’ की है.

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1974 में पोखरण में भारत के पहले परमाणु परीक्षण को चीन ने बेतुका करार देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पाखंडी करार दिया था. चीनी राजनयिकों ने भारत सरकार की उस दलील को बकवास करार दिया था जिसमें यह कहा गया था कि ये परमाणु परीक्षण शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया गया था. साथ ही चीन ने यह भी कहा था कि इंदिरा गांधी को पाखंड विरासत में उनके पिता जवाहरलाल नेहरू से मिली है.

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बीजिंग को इस बात की भी शिकायत थी कि उसे परीक्षण के बारे में भारतीयों ने सूचित नहीं किया. विकिलीक्स की ओर से अमेरिका के राजनयिक केबल के ताजा खुलासे में यह बात सामने आई है कि बीजिंग ने भारतीय परीक्षण के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी की क्योंकि पोखरण विस्फोट चीन को प्रभावित नहीं करता और उसे विशेष महत्व की घटना के रूप में नहीं देखा गया था.

विकिलीक्स के अनुसार, तत्कालीन सेकेंड सेक्रेटरी ली ता नान ने अमेरिकी उच्चायोग के एक अधिकारी को परमाणु परीक्षण के 11 दिन बाद 29 मई 1974 को कहा, ‘इससे हालांकि दक्षिण एशियाई देशों के संबंधों में बेहतरी में देरी होगी और यह जटिल बन जायेगी.’ ली ने कहा कि विदेश सचिव (पूर्वी) त्रिवेदी परीक्षण के बारे में एशियाई और अफ्रीकी राजनयिकों को बता रहे थे.

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