राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के विचार किसी से छिपे नहीं है. चाहे देश मे कोई मंच हो या विदेश की धरती, राहुल ने संघ की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ा. अब वही संघ कांग्रेस अध्यक्ष को अपने कार्यक्रम में बुलाने जा रहा है.
दरअसल 17 सितंबर से 19 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' नामक कार्यक्रम में संघ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी समेत विपक्ष के कई नेताओं को आमंत्रित करने जा रहा है. जिसे लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों में सुगबुगाहट तेज हो गई है.
हालांकि आरएसएस के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार का कहना है कि यह न्योता किसी व्यक्ति विशेष को नहीं, बल्कि हर विपक्षी दल को भेजा जाएगा, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है और अगर राहुल गांधी आते हैं तो संघ को कोई आपत्ति नहीं.
बता दें कि संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान राहुल गांधी का कहना था कि संघ और बीजेपी उनसे कितनी भी नफरत कर ले, लेकिन उनके दिल में उनके प्रति जरा सी भी नफरत नहीं. और यह कहते हुए राहुल पीएम मोदी से गले मिले. अब देखना होगा कि संसद के पटल अपने दिए बयान पर राहुल कितना कायम रह पाते हैं. फिलहाल संघ ने अपने सबसे मुखर आलोचक राहुल गांधी के पाले में गेंद डाल दी है.
उल्लेखनीय है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संघ के तृतीय वर्ष कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश समेत कांग्रेस के बड़े नेताओं ने आपत्ति दर्ज कराई थी. लेकिन राहुल गांधी या गांधी परिवार से किसी व्यक्ति ने प्रणब पर टिप्पणी नहीं की थी.
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लंदन में एक कार्यक्रम में आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी, जिससे उनकी काफी आलोचना हुई. संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने राहुल के बयान पर कहा कि जो भारत को नहीं समझता वो संघ को नहीं समझ सकता.
बता दें कि राहुल गांधी द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए दोषी ठहराने वाले बयान को लेकर महाराष्ट्र के भिवंडी में मानहानि का मुकदमा चल रहा है. राहुल गांधी ने अदालत की सलाह के बावजूद अपने बयान पर कायम रहने का फैसला लिया और कहा कि वे कोर्ट की कार्रवाई का सामना करने को तैयार हैं.
बहरहाल असहिष्णुता, गांधी की हत्या, संघ में महिलाओं की भागीदारी को लेकर आरएसएस पर लगातार निशाना साधने वाले राहुल, संघ के निमंत्रण से दोराहे पर खड़े नजर आ रहे हैं. यदि वे इस कार्यक्रम में नहीं जाते हैं तो उन पर असहिष्णु होने और संसद में अपनी ही कही बात से पीछे हटने का लांछन लग सकता है. वहीं यदि वे संघ के कार्यक्रम में शामिल होते हैं तब इसे आरएसएस को मान्यता देने जैसा प्रचारित किया जा सकता है. ऐसे में देखना होगा कि राहुल गांधी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरह संघ के कार्यक्रम में शामिल होने की रिस्क लेते हैं या नहीं?