रालेगन सिद्धि में 'आज तक' के साथ बातचीत के दौरान अन्ना हजारे ने फिर दोहराया के वे जंतर-मंतर पर फिर एक बार आंदोलन करने का मन बना चुके हैं, जिसकी दो वजह हैं, एक तो लोकपाल बिल को लेकर सरकार आगे कुछ नहीं कर रही है और दूसरा फौजियों को वन रैंक वन पेंशन सही मायने में नहीं दे रही है सरकार. उन्होंने कहा कि खुद की तनख्वाह बढ़ाते वक़्त सभी नेता देर नहीं लगाते.
अन्ना ने कहा कि सेवा निवृत्त फौजियों ने जंतर-मंतर पर आंदोलन किया था, अन्ना भी आंदोलन में शरीक हुए थे, सरकार द्वारा आश्वासित किया गया था कि OROP दिया जाएगा और वैसी घोषणा भी की गई थी. उन्होंने कहा कि अगर सेवा निवृत्त फौजियों को OROP दिया गया होता तो वो ख़ुदकुशी करने पर मजबूर नहीं होते.
अन्ना ने तंज कसते हुए कहा कि नेताओ को फौजियों की जिंदगी का एहसास कराने के लिए उन्हें एक हफ्ते के लिए फौजियों के साथ बर्फीले सियाचन ग्लेशियर पर भेजना बहुत जरूरी है, तब उन्हें पता चलेगा के पेंशन क्यों चाहिए?
अन्ना ने आखिर में कहा कि फौजी देश की सुरक्षा के लिए सरहद पर अपनी जान हथेली पर लेकर तैनात रहते हैं. उनमें अमीर बनने की चाहत नहीं होती है, उनके परिवार का ध्यान रखना सरकार का फर्ज होता है. अन्ना ने मोदी सरकार और रक्षा मंत्री को सुझाव दिया कि अगर सरकार OROP को लेकर वाकई गंभीर है तो उसे जनता के सामने रखे, और पहली सरकार ने क्या गलती की वो भी जनता को बताएं ताकि चर्चा हो सके और खामियों को सुधारा जा सके.