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राज ने बढ़ाया हाथ तो दूंगा साथः उद्धव ठाकरे

शिव सेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने संकेत दिए हैं कि अगर राज ठाकरे दिल से उनसे हाथ मिलाना चाहें तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इस बयान से तो ऐसा ही लग रहा है कि सियासत में अलग-अलग राह चुनने वाले उद्धव और राज ठाकरे साथ हो जाएंगे.

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शिव सेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने संकेत दिए हैं कि अगर राज ठाकरे दिल से उनसे हाथ मिलाना चाहें तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इस बयान से तो ऐसा ही लग रहा है कि सियासत में अलग-अलग राह चुनने वाले उद्धव और राज ठाकरे साथ हो जाएंगे.

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शिव सेना के मुखपत्र सामना में तीन कड़ियों में दिए साक्षात्कार की दूसरी कड़ी बुधवार को प्रकाशित हुई है. उद्धव ने इसमें जो कुछ कहा है उससे साफ है कि राज अगर चाहें तो उन्हें हाथ मिलाने में कोई हिचक नहीं. उद्धव के मुताबिक, 'अगर कोई दिल से हमारे पास आता है तो मैं उसका स्वागत करूंगा.'

इस साक्षात्कार में उद्धव ने ऐसी कई बातें कही हैं जिससे लगता है कि राज ठाकरे को लेकर उनका रुख नरम पड़ा है और अगर राज हाथ बढ़ाएं तो उद्धव उसे थाम सकते है.

उद्धव से जब सवाल पूछा गया कि क्या शिवसेना और एमएनएस साथ आएंगे? तो उद्धव का जवाब था, 'ताली एक हाथ से नहीं बजती.' यानी, अगर राज पहल करें तो दोनों के साथ आने की संभावनाओं के दरवाजे खुले हैं.

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इसी सवाल को जब दोबारा पूछा गया कि क्या वो साथ आएंगे तो उद्धव ने कहा, 'आप सिर्फ मुझसे ये सवाल कैसे कर सकते? मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं लेकिन आपको हम दोनों को साथ बिठाकर ये सवाल करना चाहिए. ये दोनों पक्षों पर निर्भर करता है.'

राज को लेकर उद्धव के बदले रुख का इशारा उनके एक और जवाब से भी मिलता है जिसमें वो मराठी वोट बैंक के बंटवारे के लिए अकेले एमएनएस को जिम्मेदार नहीं मानते.

उद्धव की बातों से साफ है कि उन्हें राज से हाथ मिलाने में कोई हिचक तो नहीं लेकिन इसके लिए राज को भी एक कदम बढ़ाना होगा. साक्षात्कार में एक जवाब में उनकी ये उलझन जाहिर भी होती है जिसमें वो कहते हैं, 'मैं इस सवाल का जवाब अभी दे सकता हूं लेकिन क्या पता अगर उनके दिमाग में कुछ और बातें हों.'

गौरतलब है कि पिछले साल जब उद्धव बीमार पड़े थे तो राज उनका हाल जानने लगातार अस्पताल जाते रहे. वो अपनी कार से उद्धव को घर पर छोड़ने भी गए थे. तब दोनों के करीब आने की अटकलें चली थीं.

अटकलों पर भरोसा करें तो दोनों को साथ लाने की कोशिशें अपने आखिरी दिनों में बाला साहेब ठाकरे ने भी की थी, लेकिन उनकी कोशिशें पूरी नहीं हो पाईं. ऐसे में सवाल उठता है कि उद्धव ने जो संकेत छोड़ा है क्या राज उसे पकड़ेंगे?

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वहीं मंगलवार को ही बाला साहेब के निधन के बाद उद्धव ठाकरे पहली बार गरजे थे. 'सामना' में उन्होंने साफ कर दिया था कि शिव सेना में अभी दम बाकी है. अपने साक्षात्कार में उद्धव ने एमएनएस समेत सभी विरोधियों को चेतावनी दी थी.

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