औसत बुद्धिमत्ता वाले लोग भी शराब के नशे में अतार्किक व्यवहार करने लगते हैं. एक नए अध्ययन में पता चला है कि इसकी वजह शराब का लोगों को गलतियां करने से रोकने वाले मस्तिष्क के संकेतों को क्षीण बनाना है. इससे व्यक्ति का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रह जाता.
कोलम्बिया के मिसॉरी विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ता ब्रूस बार्थोलो कहते हैं, ‘जब लोग गलतियां करते हैं तो उनके दिमाग के एक खास हिस्से में सक्रियता बढ़ जाती है. यह हिस्सा लोगों के व्यवहार की निगरानी करता है. गलतियां करने पर यह हिस्सा मस्तिष्क के अन्य हिस्सों को चेतावनी जारी करता है, ताकी वे हिस्से यह बता सकें कि कुछ गलत हो रहा है.’
बार्थोलो और उनके साथियों ने अध्ययन में शामिल 67 प्रतिभागियों के मस्तिष्क की सक्रियता मापी. इन प्रतिभागियों की उम्र 21 से 35 वर्ष के बीच थी. इन लोगों को ऐसे काम करने के लिए दिए गए जिनमें उनसे गलतियां हों.
'एबनार्मल साइकोलॉजी' जर्नल के मुताबिक प्रतिभागियों में से एक तिहाई को शराब पिलाई गई थी.
शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क की सक्रियता की निगरानी करने के साथ प्रतिभागियों की बदलती मनोदशा पर भी नजर रखी. यह देखा गया कि वे कम्प्यूटर पर कितने सही ढंग से काम करते हैं.
अध्ययन में देखा गया कि शराब पीने वाले व्यक्तियों में गलतियां पर प्रतिक्रिया देने वाला मस्तिष्क का 'चेतावनी संकेत' कम सक्रिय था. जिन लोगों ने शराब नहीं ली थी उनके मस्तिष्क का यह हिस्सा तेजी से प्रतिक्रिया दे रहा था.
वैसे अन्य प्रतिभागियों की तरह शराब पीने वाले प्रतिभागियों को भी इस बात का एहसास था कि उन्होंने कोई गलती की है. इससे पता चलता है कि ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं होता कि शराब पीने वालों को अपनी गलतियों की जानकारी नहीं होती.