देश के तीन हिंदी भाषीय राज्यों में बीजेपी की हार का असर पर शीतकालीन सत्र में भी दिखने वाला है. वैसे तो पहले से ही विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के जनादेश ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी है. कांग्रेस ने राफेल समेत कई मुद्दों पर सरकार को बैकफुट पर लाने के लिए रोडमैप तैयार कर लिया है.
दरअसल, बुधवार को शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के सहयोगी शिवसेना ने भी सरकार के खिलाफ धरने पर बैठकर अपना इरादा जता दिया. शिवसेना के सदस्य लोकसभा में पीएम मोदी की मौजूदगी में राममंदिर की मांग को लेकर नारेबाजी करते दिखे.
बुधवार से जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल शुरू किया तभी कांग्रेस, शिवसेना और अन्नाद्रमुक के सदस्य नारेबाजी करते हुए अपनी-अपनी मांग को लेकर अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए. शिवसेना सांसदों ने अयोध्या में जल्द भव्य राममंदिर का निर्माण कराने की मांग करने लगे. महाजन ने हंगामा कर रहे सांसदों से सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने का आग्रह किया. लेकिन, न विपक्ष के नेता माने और न शिवसेना के सदस्य माने. जिसके चलते मजबूरन महाजन को सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी.
जानकारों की माने संसद में अभी तो विपक्ष का ये हंगामा केवल झांकी है. आने वाले दिनों में विपक्ष सरकार पर और हावी होने की कोशिश करेगा. मंगलवार को तीनों राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने इरादे जता दिए थे. इस मौके पर राफेल, बेरोजगारी और किसानों की समस्या को उन्होंने देश का सबसे बड़ा मुद्दा बताया.
राहुल ने एक तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया कि तीनों राज्यों की जनता ने कांग्रेस पर इन्हीं 3 मुद्दों पर भरोसा जताया है. इसलिए इन मुद्दों को लेकर राहुल मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं, और आने वाले दिनों में संसद की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस नेता अगर इन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने लगे तो इसमें कोई नई बात नहीं होगी.
राफेल डील
दरअसल कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान मोदी सरकार के खिलाफ हर सभा में राफेल, बेरोजगारी और किसानों की समस्या को उठाया, और इन मुद्दों पर असफलता के लिए सीधे पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया. राहुल गांधी की मानें तो राफेल डील के जरिये देश का सबसे भ्रष्टाचार हुआ है और यह सब पीएम मोदी के इशारे पर हुआ. वहीं संसद सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस के सदस्य राफेल सौदे में घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग करते दिखे, आगे यह मुद्दा संसद में और गरमाने वाला है.
बेरोजगारी
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमले के लिए बेरोजगारी को दूसरा सबसे बड़ा शस्त्र बना लिया है, खुद राहुल गांधी हर जगह बेरोजगारी को लेकर मोदी सरकार को घेरने से नहीं चुकते. वे तीनों राज्यों में जोर देकर कहते नजर आए कि मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा युवाओं को ठगा है. हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा भी जुमला साबित हुआ है. अब तीनों राज्यों के परिणाम से राहुल के हौसले बुलंद हैं और वो इस मुद्दे पर संसद में भी सरकार को घेरने में कतई पीछे नहीं रहने वाले हैं.
किसानों की समस्या
वैसे तो कांग्रेस ने तीनों राज्यों में किसानों से सरकार बनने के 10 दिन के अंदर कर्ज माफी का वादा किया है, और जीत के बाद उन्होंने दोहराया भी कि इस मुद्दे पर सबसे पहले काम किया जाएगा. राहुल का पता चल गया है कि बीजेपी को बैकफुट पर लाने के लिए उनके पास किसानों के मुद्दे हाथ में हैं. वो इसे शीतकालीन सत्र के दौरान जरूर उठाएंगे, ताकि सदन के माध्यम से देश को बताया जा सके कि कांग्रेस किसानों की समस्या को लेकर कितनी गंभीर है.
अब देखना यह है कि तीनों राज्यों में जीत से कांग्रेस में आई नई जान से मोदी सरकार सदन में कैसे मुकाबला करती है. क्योंकि कांग्रेस की इस जीत से राहुल गांधी का कद बढ़ने के साथ-साथ बाकी विपक्षी पार्टियों को भी संदेश मिल गया है कि अब राहुल ही विपक्ष के सबसे बड़े नेता हैं, और अगर 2019 में मोदी सरकार को रोकना है तो राहुल का हाथ मजबूत करना होगा.