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INS अरिहंत के जरिए जमीन, हवा और समुद्र से 'न्यूक्लियर अटैक' कर सकेगा भारत

आईएनएस अरिहंत के जरिए 750 किलोमीटर और 3500 किलोमीटर दूरी पर निशाना लगाया जा सकेगा. फिलहाल यह क्षमता अमेरिका, रूस और चीन की तुलना में कम है. इन देशों के पास 5 हजार किलोमीटर तक मारक क्षमता वाले सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलें हैं.

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अगस्त में शामिल हो चुका है नौसेना के बेड़े में INS अरिहंत
अगस्त में शामिल हो चुका है नौसेना के बेड़े में INS अरिहंत

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अब भारत जमीन, समुद्र या हवा कहीं से भी न्यूक्लियर अटैक कर सकेगा. भारत ने इस साल अगस्त में ही देश में बने न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिहंत को नौसेना में शामिल कर लिया है.

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक दिसबंर 2014 से ट्रायल चलने के बाद इस साल अगस्त में 83 मेगावॉट वाले लाइट वॉटर रिएक्टर से चलने वाली इस पनडुब्बी को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है.

आईएनएस अरिहंत के जरिए 750 किलोमीटर और 3500 किलोमीटर दूरी पर निशाना लगाया जा सकेगा. फिलहाल यह क्षमता अमेरिका, रूस और चीन की तुलना में कम है. इन देशों के पास 5 हजार किलोमीटर तक मारक क्षमता वाले सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलें हैं.

सीधे PMO से हो रही निगरानी
6 हजार टन वजन वाला आईएनएस अरिहंत फिलहाल पूरी तरह से तैनाती के लिए तैयार नहीं है. डिफेंस मिनिस्ट्री की तरफ से भी इसको लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई है. नौसेना ने भी इस पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की है. ऐसा माना जा रहा है कि यह एक स्टैटेजिक प्रोजेक्ट है जिसकी निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से हो रही है.

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आईएनएस अरिहंत तीन SSBN (न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन विद लॉन्ग रेंज न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल्स) में से पहली सबमरीन है. इसका निर्माण कई दशक पहले शुरू किए गए सिक्रेटिव एटीवी (एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वैसेल) के तहत किया गया है. इसके साथ आईएनएस अरिदमन और एक अन्य सबमरीन भी बनाई जा रही है. आईएनएस अरिदमन लगभग बनकर तैयार है और साल 2018 तक इसके नौसेना में शामिल होने की संभावना है.

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