दिल्ली सरकार ने कुछ ‘छोटे-मोटे स्पष्टीकरण’ का समावेश करते हुए संसद पर आतंकवादी हमले के दोषी अफजल गुरु की माफी या़चिका वाली फाइल बुधवार को फिर उपराज्यपाल के पास भेजी.
उपराज्यपाल तेजिन्दर खन्ना ने दिल्ली सरकार की टिप्पणी पर अतिरिक्त स्पष्टीकरण के लिए मंगलवार को यह फाइल लौटा दी थी. दिल्ली सरकार ने गुरु की सजाए मौत की हिमायत की थी, लेकिन साथ ही यह भी बात कही थी कि सजाए मौत पर अमल करते समय कानून-व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों के पहलू पर भी गहराई से अध्ययन किया जाना चाहिए.
दिल्ली सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने बताया, ‘हमने कुछ छोटे-मोटे स्पष्टीकरण देते हुए फाइल वापस भेज दी है. उन्होंने (उपराज्यपाल दफ्तर ने) हमारी ओर से कुछ स्पष्टीकरण चाहा था और हमने उनका समावेश किया है’. उन्होंने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत क्षमायाचिका पर राज्य सरकार के विचार बाध्यकारी नहीं हैं और दिल्ली में हमारे पास कानून-व्यवस्था की शक्तियां भी नहीं हैं’.
सूत्र ने कहा कि इस बीच दिल्ली सरकार ने एक अलग संदेश में केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पहले ही यह बता दिया था कि फाइल ‘सक्रियतापूर्वक विचाराधीन’ है. यह बात उसने इस मुद्दे पर केन्द्र के सोलहवें रिमाइंडर पर कही थी. उप राज्यपाल कार्यालय ने मंगलवार को यह कहते हुए फाइल वापस कर दी थी कि इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार की टिप्पणी बहुत स्पष्ट नहीं है और उसपर स्पष्टीकरण की मांग की थी. {mospagebreak}
बहरहाल, उप राज्यपाल कार्यालय और दिल्ली सरकार दोनों ने स्पष्टीकरण की प्रकृति के बारे में कुछ कहने से इनकार किया कि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. दिल्ली सरकार ने हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सोलहवां रिमाइंडर आने के बाद सोमवार को यह फाइल उपराज्यपाल कार्यालय भेजी थी.
अधिकारियों के अनुसार दिल्ली सरकार ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि गुरु की सजाए मौत पर अमल किए जाने पर उसे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसपर अमल करते हुए कानून-व्यवस्था पर इसके प्रभावों का गहराई से अध्ययन किया जाना चाहिए. विपक्षी पार्टियों ने इस मामले पर कथित रूप से तकरीबन चार साल तक हीला-हवाला करने के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की है.
मुंबई हमलों के सिलसिले में पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को सजाए मौत सुनाए जाने के बाद गुरु की सजाए मौत का यह मुद्दा एक बार फिर सुखिर्यों में आया. जब इस विलंब के बारे में पूछा गया तो सूत्र ने कहा कि अगर इसपर कोई सफाई मांगी गई तो राज्य सरकार उसका जवाब देने के लिए तैयार है.
दिल्ली की एक अदालत ने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकवादी हमले के मामले में देश के खिलाफ जंग करने और हत्या के सिलसिले में दोषी पाए जाने पर 18 दिसंबर 2002 को गुरु को सजाए मौत सुनाई थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 29 अक्तूबर को गुरु की सजाए मौत की पुष्टि की थी. उसके दो साल बाद चार अगस्त 2005 को उच्चतम न्यायालय ने गुरु की अपील खारिज कर दी थी. इसके बाद गुरु ने राष्ट्रपति के पास क्षमायाचिका दायर की थी. राष्ट्रपति ने टिप्पणी के लिए इसे केन्द्रीय गृहमंत्रालय को भेज दिया था.