भारतीय महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और उनकी रक्षा के लिए साल भर कोई न कोई व्रत करती रहती हैं. भादो महीने में मनाई जाने वाली तीज इन पर्वों में प्रमुख मानी जाती है. देशभर में, खासकर उत्तरी हिस्सों में तीज पर्व की खूब चहल-पहल है.
जब तीज की बात हो, तो पूजा के साथ ही डिजायनर साड़ियां, मेहंदी और सोलह श्रृंगार के साथ विशेष प्रकार से बनाने वाले प्रसाद 'पिड़ुकिया' की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है. तीज पर्व की पहचान महिलाओं के सोलह श्रृंगार से होती है.
पूरे बिहार के बाजारों में तीज की रौनक छा गई है तो घरों से पिडुकिया और ठेकुआ की भीनी-भीनी खुशबू भी आने लगी है. वैसे तो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भी तीज मनाई जाती है, जिसे छोटी तीज या 'श्रावणी तीज' कहा जाता है, परंतु भादौं महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले पर्व को बड़ी तीज तथा 'हरितालिका तीज' कहा जाता है. इस वर्ष यह पर्व रविवार को मनाया जाएगा.
पूर्व में यह पर्व केवल बिहार, झारखंड, उतर प्रदेश के कुछ इलाकों में मनाई जाता था, मगर अब यह पर्व देश के करीब-करीब सभी राज्यों में मनाया जाने लगा है. महिलाएं इस दिन उपवास रखकर रात को शिव-पर्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करती हैं और पति के दीर्घायु होने की कामना करती हैं.
इस पर्व में वैसे तो कई प्रकार के पकवान बनाकर प्रसाद अर्पण किए जाते है परंतु एक खास प्रकार से बनाए गए प्रसाद 'पिडुकिया' भगवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाने की पुरानी परंपरा रही है. आमतौर पर घर में मनाए जाने वाले इस पर्व में महिलाएं एक साथ मिलकर प्रसाद बनाती हैं. पिडुकिया बनाने में घर के बच्चे भी सहयोग करते हैं. पिडुकिया मैदा से बनाया जाता है, जिसमें खोया, सूजी, नारियल और बेसन अंदर डाल दिया जाता है. पूजा के बाद आस-पड़ोस के घरों में प्रसाद बांटने की भी परंपरा है, जिस कारण किसी भी घर में बड़ी मात्रा में प्रसाद बनाए जाते हैं.
पंडित महदेव मिश्र कहते हैं कि भादौं महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है तथा हस्त नक्षत्र के दौरान पूजा की जाती है. वे कहते हैं कि इस पर्व के दिन जो सुहागिन स्त्री अपने अखंड सौभाग्य और पति और पुत्र के कल्याण के लिए व्रत रखती है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
वे बताते हैं कि धार्मिक मान्यता है कि पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने तीज के ही दिन पार्वती को अपनी पत्नी स्वीकार किया था. इस कारण सुहागन स्त्रियों के साथ-साथ कई क्षेत्रों में कुंवारी लड़कियां भी यह पर्व करती हैं.
पटना के बोरिंग रोड में इस पर्व के मौके पर साड़ी मार्केट और ब्यूटी पार्लरों में महिलाओं की खासी भीड़ है. बोरिंग रोड के बाजार में खरदारी कर रही नीतू कहती हैं कि सभी महिलाओं को पूरे वर्ष तीज पर्व का इंतजार रहता है. वे कहती हैं कि मान्यता है कि इस पर्व में पूजा करने के पूर्व महिलाएं सोलह श्रृंगार कर तैयार हों और फिर पूजा करें. एक पखवाड़े पूर्व से ही इस पर्व की तैयारी में लोग जुट जाते हैं. मेहंदी की दुकानों में इस पर्व को लेकर महिलाओं की कतार लगी हुई है.
पटना के केशव पैलेस स्थित एक कपड़ा दुकानदार के. निर्मल कहते हैं कि पिछले दिनों टेलीविजन धारावाहिकों को देखकर इन दिनों साड़ियों का क्रेज बढ़ा है. इन धारावाहिकों में पहनी गई जैसी साड़ियों की कीमत चार हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक है. ये साड़ियां महिलाएं खूब पसंद कर रही हैं. वे कहते हैं कि शिफोन प्रिंटेड पर पैच बार्डर विद कन्ट्रास्ट ब्लाउज खूब बिक रहे हैं. इसके बाद महिलाओं की पसंद रानी और शॉकिंग रेड कलर है.
इधर, पटना के ब्यूटी पार्लरों में भी 15 दिन पूर्व से ही महिलाओं की भीड़ जुट रही है. कई ब्यूटी पार्लरों ने तो तीज के मौके पर महिलाओं को आकर्षित करने के लिए खास पैकेज का भी ऐलान कर दिया है.