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राज्‍यसभा में के 1 मुकाबले 186 मतों से पास हुआ महिला आरक्षण बिल

लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने के महत्वाकांक्षी विधेयक को मंगलवार को संप्रग सरकार राज्यसभा में अभूतपूर्व घटनाक्रम के बीच दो तिहाई बहुमत से पारित करवाने में अंतत: सफल हो गई.

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लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने के महत्वाकांक्षी विधेयक को मंगलवार को संप्रग सरकार राज्यसभा में अभूतपूर्व घटनाक्रम के बीच दो तिहाई बहुमत से पारित करवाने में अंतत: सफल हो गई हालांकि विधेयक विरोधी सात सदस्यों को सदन से न केवल निलंबित किया गया बल्कि मार्शलों के जरिए कंधे पर लादकर सदन से बाहर भिजवाने जैसे कुछ अप्रत्याशित दृश्य भी उच्च सदन में देखने को मिले.

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विधेयक पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए इस विधेयक को महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम करार दिया. उन्होंने साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह विधेयक अल्पसंख्यक, पिछड़ा या अनुसूचित जाति, जनजाति विरोधी नहीं है. संविधान (108वां संशोधन) विधेयक को सदन ने एक के मुकाबले 186 मतों से पारित कर दिया.

चर्चा में राजद, सपा तथा लोजपा के सदस्यों ने भाग नहीं लिया. मतदान के ठीक पहले बसपा नेता सतीशचंद्र मिश्र अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ विधेयक के प्रावधानों का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट कर गए. इससे पूर्व सदन में राजद, सपा तथा लोजपा के सदस्यों के भारी विरोध और हंगामे के कारण बैठक को तीन बार स्थगित करना पड़ा.

सदन ने सपा के कमाल अख्तर, आमिर आलम खान, वीरपाल सिंह और नंद किशोर यादव, जदयू से निलंबित सदस्य डा. एजाज अली, राजद के सुभाष यादव तथा लोजपा के साबिर अली को मौजूदा सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया. {mospagebreak}

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तीन बार के स्थगन के बाद मंगलवार को दोपहर तीन बजे जब सदन की बैठक पुन: शुरू हुयी तो सदन में सातों निलंबित सदस्य आसन के समक्ष धरना पर दिए हुए बैठे थे. विधेयक पर चर्चा शुरू होने के बाद भी जब इन सदस्यों का विरोध जारी रहा तो निलंबित सदस्यों को मार्शलों की मदद से बाहर निकाला गया. सदन में लगभग 25 मिनट तक मार्शलों और निलंबित सदस्यों के बीच खींचातानी चलती रही.

इसी खींचातानी में सपा के कमाल अख्तर ने कांच का एक गिलास भी तोड़ दिया. सदन में मंगलवार को हुई इन घटनाओं को मनमोहन सिंह, विपक्ष के नेता अरुण जेटली सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने गहरा दुखद जताया. सिंह ने कहा कि सदन में जो असामान्य घटनाक्रम हुआ उस पर वह गहरा खेद व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होनी चाहिए.

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि यह कानून देश की महिलाओं को निर्णय में भागीदारी देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए देश की आधी आबादी की उम्मीदें पूरी होंगी और उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक विकास का लाभ मिल सकेगा. इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा में अधिकतर दलों के सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया. {mospagebreak}

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कई दलों ने इस बात का भी समर्थन किया कि विधेयक में अल्पसंख्यकों, दलितों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए. यह विधेयक सोमवार को ही सदन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पारित होना था लेकिन कुछ सदस्यों के भारी विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका. इस दौरान सदन में कुछ अशोभनीय घटनायें भी हुई. सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विधेयक का समर्थन करने के साथ-साथ यह भी कहा कि यह महिलाओं को आरक्षण देने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम है.

भविष्य में अल्पसंख्यकों, दलितों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षण देने के प्रावधान के लिए संशोधन लाया जा सकता है. विधेयक का समर्थन करते हुए सदन में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि भारत के हालिया इतिहास के सर्वाधिक प्रगतिशील विधेयकों में से एक को प्रभावी बनाने का जरिया बनकर हम सभी ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभा रहे हैं. कांग्रेस की जयंती नटराजन ने इस विधेयक के लिए संप्रग सरकार और पार्टी नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि कांग्रेस चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वायदे को पूरा करने में सफल रही है.

माकपा की वृंदा करात ने कहा कि विधेयक से महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा और लंबे समय से चली आ रही भेदभाव की स्थिति दूर हो सकेगी. बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने विधेयक में 33 प्रतिशत आरक्षण के बदले 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित करने की मांग की. भाजपा की नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि सवाल नीति और नीयत का है तथा इस संबंध में हमारी नीति और नीयत दोनों स्पष्ट है. हम शुरू से ही चर्चा कराने के पक्षधर थे और हम चाहते हैं कि राजनीति सहित विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं आगे आएं.

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कांग्रेस की प्रभा ठाकुर ने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण के बिना देश का विकास नहीं हो सकता. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग महिलाओं को गुमराह कर रहे हैं लेकिन संप्रग सरकार ने इस प्रक्रिया की शुरूआत कर इतिहास बनाया है. {mospagebreak}

महिला आरक्षण के मामले में उच्च सदन में जदयू के सदस्यों ने पक्ष में मतदान किया जबकि लोकसभा में पार्टी नेता शरद यादव सहित इसके विभिन्न सदस्य विधेयक के प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं. महिला आरक्षण संबंधी विधेयक पर विपक्षी राजग और वाम दलों का समर्थन होने के बावजूद सपा, राजद और लोजपा जैसे दलों के विरोध के कारण उच्च सदन में पिछले दो दिनों से बैठक कई बार बाधित हुयी.

सपा, राजद और लोजपा के विरोध के चलते संप्रग सरकार का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर यह विधेयक पारित करवाने का सपना पूरा नहीं हो सका. उच्च सदन में सोमवार को भी इस विधेयक का विरोध करने वालों ने मान्य संसदीय नियमों को ताक पर रखकर हंगामा किया और सभापति की मेज से कागज छीन लिए. विधेयक की प्रतियां फाड़कर हवा में उछाली तथा सभापति की मेज की ओर बढ़ने का प्रयास किया. हंगामे के कारण सोमवार को प्रश्नकाल सहित सदन की कार्यवाही दिनभर बाधित रही.

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महिला आरक्षण विधेयक के विरोध की आंच पिछले दो दिनों से लोकसभा में भी महसूस की गयी. लोकसभा में दो दिन प्रश्नकाल नहीं चल पाया. मंगलवार को भी लोकसभा में चार बार के स्थगन के बाद वित्त वर्ष 2010-11 के रेल बजट के पहले तीन महीनों के विनियोग विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी.

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