सेतु समुद्रम पर पचौरी कमेटी की रिपोर्ट को लेकर सियासत तेज हो गई है. सरकार जहां पचौरी कमेटी की सिफारिशों की अनदेखी कर प्रोजेक्ट की तरफ आगे बढ़ना चाहती है, वहीं बीजेपी ने कहा है कि वो इसे किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं करेगी क्योंकि राम सेतु लोगों की आस्था और देश की संस्कृति से जुड़ा मसला है.
बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा है कि 'केंद्र सरकार का ये कदम भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. सरकार ने अपने निर्णय के लिए कोई तर्क नहीं दिया है. भारतीय संस्कृति में राम आदर्श माने जाते हैं. संसद में उसके बाहर सरकार के इस कदम की निंदा की जानी चाहिए.'
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में पचौरी कमेटी ने कहा है कि सेतुसमुद्रम परियोजना किसी भी लिहाज से सही नहीं ठहराई जा सकती. चाहे वो आर्थिक दृष्टिकोण हो या फिर पर्यावरण का मसला. सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर लिया है और कहा है कि वह इस परियोजना को आगे बढ़ाना चाहती है. यह परियोजना राम सेतु (एडम्स ब्रिज) को काटती हुई गुजरेगी.
दरअसल 2007 में इस मामले को जनता पार्टी के सुब्रमण्यम स्वामी ने मद्रास हाई कोर्ट में उठाया था. स्वामी ने राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने की मांग की थी, जिसके बाद पूरा विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सेतु समुद्रम का विवाद बढ़ा तो सुप्रीम कोर्ट के दखल पर 2008 में आर के पचौरी कमेटी गठित की गई. पचौरी कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें कहा गया कि ये प्रोजेक्ट कहीं से भी फायदेमंद नहीं होगा.