दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश को बकवास करार देने वाले बयान पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सफाई दी है. राहुल गांधी ने कहा है कि अध्यादेश को बकवास बताना गलत था, पर उनकी भावना सही थी.
उन्होंने कहा, 'मैंने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया था. मैंने बकवास शब्द का इस्तेमाल किया, जो गलत था. पर मेरी भावना सही थी.'
आपको बता दें कि राहुल के ऐतराज के बाद ही सरकार ने इस अध्यादेश वापस लेने का फैसला किया. पर प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे के दौरान जिस तरह से राहुल ने कैबिनेट के फैसले पर विरोध जताया था, उसे लेकर सवाल उठने लगे थे. कइयों का मानना था कि राहुल ने ऐसा करके प्रधानमंत्री का अपमान किया.
अब अहमदाबाद में अपने बयान पर सफाई देकर राहुल डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं. राहुल गांधी ने कहा, 'मेरी मां ने कहा था कि मैंने कड़े शब्द का इस्तेमाल किया. बाद में मुझे भी ऐसा ही लगा.'
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि बीजेपी के कई लोग हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि हमारी आवाज पार्टी में नहीं सुनी जाती.
इस दौरान राहुल ने सियासत पर अपना ज्ञान भी बांटा. उन्होंने कहा, 'हमारे देश में ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों में कोई लोकत्रांतिक व्यवस्था नहीं है. जहां तक कांग्रेस की बात है, तो मैं इस सिस्टम को बदलना चाहता हूं. इस देश की समस्या यही है कि सत्ता चुनिंदा लोगों के पास है और वही देश चलाते हैं.'
जब राहुल ने बताया था अध्यादेश को बकवास!
दागियों के चुनाव लड़ने संबंधी सरकारी अध्यादेश पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी से अलग राय देकर सबको चौंका दिया था. कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए राहुल ने कहा था, 'अध्यादेश पर मेरी राय है कि यह सरासर बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए.' उन्होंने स्पष्ट कहा था कि इस मसले पर उनकी सरकार गलत कर रही है.
राहुल के विरोध के बाद पलट गई कांग्रेस, वापस हो गया अध्यादेश
राहुल गांधी की इस खुली बगावत ने कांग्रेस को झकझोर कर रख दिया और सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई. राहुल के बयान तुरंत कांग्रेस ने इसे पार्टी लाइन बता दिया, इसके बाद ही सरकार पर अध्यादेश वापस लेने का दबाव बन गया था. हुआ भी ऐसा ही. बुधवार को बैठकों के लंबे दौर के बाद शाम में हुई कैबिनेट मीटिंग में अध्यादेश को वापस लेने का फैसला हुआ.