scorecardresearch
 

कब खत्म होगा बाल मजदूरी का दंश, दलदल में 22 करोड़ बच्चों का बचपन

बाल मजदूरी एक ऐसा अभिशाप है जो पूरी कायनात को शर्मसार करता रहा है. पिछले 100 सालों में दुनिया काफी बदल चुकी है, लेकिन नहीं बदली है तो करोड़ों बच्चों की जिंदगी जो पैदा होने के कुछ साल बाद ही बाल मजदूरी के एक ऐसे दलदल में फंस जाते हैं जहां से निकलना उनके लिए असंभव होता है और आगे चलकर पूरी जिंदगी नरक बनी रहती है.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर (गेटी)
प्रतीकात्मक तस्वीर (गेटी)

Advertisement

बाल मजदूरी एक ऐसा अभिशाप है जो पूरी कायनात को शर्मसार करता रहा है. पिछले 100 सालों में दुनिया काफी बदल चुकी है, लेकिन नहीं बदली है तो करोड़ों बच्चों की जिंदगी जो पैदा होने के कुछ साल बाद ही बाल मजदूरी के एक ऐसे दलदल में फंस जाते हैं जहां से निकलना उनके लिए असंभव होता है और आगे चलकर पूरी जिंदगी नरक बनी रहती है.

12 जून यानी आज बुधवार को वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (बाल मजदूरी के खिलाफ दिवस) है और बाल मजदूरी के उन्मूलन के लिए 2002 से शुरू किए गए इस दिवस पर जानते हैं कि बच्चों की स्थिति कैसी है और उनके बचपन बचाने की मुहिम में कितनी कामयाबी मिली है. यह साल अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (आईएलओ) के लिए भी बेहद खास है क्योंकि यह संगठन अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर रहा है, लेकिन दुखद है कि 100 साल के अपने अभियान में भी यह संगठन धरती से बाल मजदूरी के अभिशाप को खत्म नहीं कर सका है.

Advertisement

22 करोड़ बाल मजदूर

आईएलओ के अनुसार आज भी करीब 15.2 करोड़ बच्चे बाल मजदूर के तौर पर जीवन जी रहे हैं. लाख प्रयासों के बाद भी बाल मजदूरी लगभग हर सेक्टर में मौजूद है और 10 में से हर 7 बच्चों का जीवन इस कारण नरक बना हुआ है.

अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (ILO) की रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक स्तर पर 21.8 करोड़ बच्चों (5 से 17 साल की उम्र) की आबादी किसी न किसी रोजगार में लगी है, इनमें से 15.2 करोड़ बच्चे बाल मजदूर हैं जिसमें 7.3 करोड़ बच्चे तो खतरनाक स्तर की बाल मजदूरी कर रहे हैं.

बाल मजदूरी को लेकर सबसे खराब स्थिति अफ्रीका और एशिया की है. अफ्रीका में जहां 7.21 करोड़ बच्चे तो वहीं एशिया-पैसेफिक में 6.21 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं. यहां तक खुद को दुनिया को सबसे शक्तिशाली देश कहने वाले अमेरिका में भी 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी के दंश में फंसे हैं. खाड़ी देशों की बात करें तो वहां भी 10.20 लाख से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं.

अमेरिका में 19 में से 1 बच्चा मजदूर

वैश्विक स्तर पर बाल मजदूरी के प्रसार की बात करें तो अफ्रीका में हर 5 में से 1 बच्चा इस अभिशाप से अभिशप्त है. इसी तरह अमेरिका में हर 19 में से 1 और अरब देशों में हर 35 में से 1 बच्चा बाल मजदूरी कर रहा है तो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 14 में से 1 बच्चा इस अभिशाप का शिकार है.

Advertisement

आईएलओ की ओर से जून 2017 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2011 की जनगणना के आधार पर देश में 18 साल तक की उम्र के 47.2 करोड़ बच्चे हैं जो कुल आबादी का 39 फीसदी है. वहीं 5-14 साल की आयु वाले बच्चों की आबादी 25 करोड़ 96 लाख (259.6 मिलियन) है. इनमें से 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे (बच्चों की कुल आबादी का 3.9 फीसदी) किसी न किसी तरह से काम करने को मजबूर हैं.

मौत का आंकड़ा बढ़ा

दुनियाभर में खतरनाक कामों में लगे बाल मजदूरों में 4.5 करोड़ लड़के हैं तो लड़कियों की संख्या 2.8 करोड़ है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में खतरनाक कामों में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है. हाल के वर्षों में 5 से 11 साल के बच्चों के खतरनाक कामों में लगाने की दर में 1.9 करोड़ का ईजाफा हुआ है. इस कारण बच्चों की मौत की दर भी बढ़ी है. फैक्टरी और मशीन से जुड़े हादसों में औसतन 14 साल से कम उम्र के बच्चों में 7 बच्चों और 14 से 18 साल के बच्चों में 10 बच्चों की मौत हुई है.

जबकि खदानों और अन्य खतरनाक कामों के दौरान हुए हादसों में 14 साल की उम्र के 9 बच्चों और 14 से 18 साल की उम्र के 11 बच्चों की मौत हुई. हालांकि इन मौतों में यह साफ नहीं है कि बच्चों की मौत के पीछे वहां पर काम करना कारण रहा है, लेकिन जांच पर आधारित कई रिपोर्ट के अनुसार इन मौतों के पीछे बाल मजदूरी ही घटना का अहम कारण रही है.

Advertisement

भारत में बाल मजदूरी में गिरावट

हालांकि सकारात्मक बात यह है कि देश में बाल मजदूरी के मामले में 2001 और 2011 की तुलना में करीब 26 लाख की कमी आई है. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बाल मजदूरी में कमी आई, वहीं शहरी क्षेत्रों में ईजाफा हुआ है.

भारत में बाल मजदूरी की स्थिति पर 2001 से 2011 के बीच तुलनात्मक अध्ययन करने पर पता चलता है कि 2001 में ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी करने वाले 5 से 14 साल तक के बच्चों की संख्या 5.9 फीसदी रही जबकि शहरी इलाकों में यह 2.1 फीसदी थी. जबकि 2011 में ग्राणीण क्षेत्रों में बाल मजदूरों की संख्या में गिरावट देखी गई और 4.3 फीसदी तक आ गई लेकिन शहरी क्षेत्रों में वृद्धि दर्ज की गई और यह दर 2.1 से बढ़कर 2.9 फीसदी तक बढ़ गई. आबादी के हिसाब से देखें तो शहरी क्षेत्रों में एक दशक में 10.30 लाख से बढ़कर यह संख्या 20 लाख तक पहुंच गई. ओवरऑल 1.27 करोड़ से घटकर 1.10 करोड़ तक आ गई.

33% बच्चे खेती के काम में लगे

देश में 2011 के आधार पर सेक्टर आधारित बाल मजदूरी पर नजर डाली जाए तो बच्चों की सबसे बड़ी आबादी यानी 32.9 फीसदी (33 लाख) खेती से जुड़े कामों में लगी है, जबकि 26 फीसदी (26.30 लाख) बच्चे खेतीहर मजदूर हैं. घर से जुड़े मामले में काम पर लगे बच्चों की आबादी 5.2 फीसदी यानी 5 लाख है. अन्य कामों में 35.8 फीसदी यानी 36.20 लाख बच्चे बाल मजदूरी के रूप कहीं न कहीं लगे हैं.

Advertisement

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बाल मजदूर

राज्य के आधार पर सबसे ज्यादा बाल मजदूर 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हैं जो कुल बाल मजदूरी का करीब 55 फीसदी है. सबसे ज्यादा बाल मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं. उत्तर प्रदेश में 21.5 फीसदी यानी 21.80 लाख और बिहार में 10.7 फीसदी यानी 10.9 लाख बाल मजदूर हैं. राजस्थान में 8.5 लाख बाल मजदूर हैं.

2011 की जनगणना के मुताबिक देश के हर चौथे बच्चे (4.27 करोड़ बच्चे) को स्कूल नसीब नहीं है और डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजूकेशन (DISE) की 2014-15 की रिपोर्ट के अनुसार हर 100 में से महज 32 बच्चे ही स्कूली शिक्षा पूरी कर पाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार देश के महज 2 फीसदी स्कूल ही पहली कक्षा से 12वीं तक की शिक्षा पूरी करने का मौका देते हैं.

हालांकि आईएलओ का कन्वेंशन नंबर 138 कहता है कि पढ़ने की उम्र में 15 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह के काम में नहीं लगाया जा सकता. वहीं कन्वेंशन नंबर 182 के अनुसार 18 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह के खतरनाक काम में नहीं लगाया जा सकता है.

Advertisement
Advertisement