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आज भी 15 करोड़ से अधिक बच्चे बाल मजदूरी करने को मजबूर: रिपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय लेबर ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से जारी ये आंकड़े आज भी डराते हैं. इस संगठन की ओर से 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी. पढ़ें जारी किए गए कुछ आंकड़े...

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बाल मजदूरी भी आज भी चिंता का विषय (फाइल)
बाल मजदूरी भी आज भी चिंता का विषय (फाइल)

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आज दुनिया विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मना रही है. एक तरफ आप और हम जैसे युवा एसी ऑफिस में बैठकर अपनी तनख्वाह बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं तो वहीं आज भी दुनिया में करीब 15 करोड़ नाबालिग बच्चे दुनिया में बाल मजदूरी कर रहे हैं. इनकी उम्र 5 से 17 के बीच है.

अंतरराष्ट्रीय लेबर ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से जारी ये आंकड़े आज भी डराते हैं. इस संगठन की ओर से 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी. पढ़ें जारी किए गए कुछ आंकड़े...

सामने आए दुनिया के चौंकाने वाले आंकड़े..

#15.2 करोड़ बच्चे मजदूरी करने को मजबूर, इनमें से करीब पचास फीसदी से उनकी उम्र के मुबातिक काफी कठिन काम करवाया जाता है.

# कठिन काम में खानों में काम, फैक्ट्री, माल ढुलाई आदि जैसे काम भी शामिल हैं.

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# इस तरह के काम करने से एक साधारण बालक की ग्रोथ रुकने का खतरा रहता है. दो पैसों के कारण बच्चे पढ़ाई से दूर रहते हैं.

# कठिन काम करने वालों में करीब 45 मिलियन लड़के और 28 मिलियन लड़कियां शामिल हैं.

# पिछले कुछ वर्षों में ये संख्या 19 मिलियन के करीब बढ़ी है.

अपने देश में भी हालत खराब...

2015 के NCRB के आंकड़ों के अनुसार,

14 से कम उम्र के 7 बच्चे, 14-18 की उम्र के बीच वाले 10 बच्चे फैक्ट्री में काम करते हुए जान गंवा बैठे.

14 से कम उम्र के 9 बच्चे, 14-18 की उम्र के बीच वाले 11 बच्चे खानों में काम करने के दौरान अपनी जान गंवा बैठे.

हालांकि, ये साफ नहीं है कि इनकी मौत किस तरह हुई लेकिन मौत के दौरान ये सभी इन जगहों पर कार्यरत थे. भारत में बिहार, झारखंड, राजस्थान, आंध्रप्रदेश में बालमजदूरी के दौरान अधिक मौतें हुईं.

अंतरराष्ट्रीय लेबर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, उनका एजेंडा है कि 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों को इस तरह की मजदूरी में ना फंसाया जाए और फोकस पढ़ाई पर ही हो.

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