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एनडीए में होने के बावजूद नीतीश कुमार ने योग दिवस से बनाई दूरी

जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि योग के आयोजन में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है. राजीव रंजन ने कहा कि सबसे पहली बात है कि योग विश्व की प्राचीन विधाओं में से एक है, हमारी संस्कृति का पिछले 5 हजार वर्षों से एक अभिन्न हिस्सा रहा है और स्वस्थ रहने के लिए हम सब अपने-अपने घरों में इस यौगिक क्रिया को करते रहे हैं.

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पीएम मोदी और नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पीएम मोदी और नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

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पहले नोटबंदी का विरोध, उसके बाद बिहार में एनडीए के चेहरे के बाद जनता दल(यू) एनडीए में होते हुए भी ऐसा लग रहा है कि बीजेपी के फैसले का विरोध ही करेगी. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के ताजा फैसले से तो यही लगता है. क्योंकि गुरुवार को होने वाले योग दिवस के समारोह में जेडीयू शामिल नहीं होगी.  बता दें कि जब 21 जून को योग दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई थी तो नीतीश ने कहा था कि था कि योग करना एक व्यक्तिगत नियम है इसके लिए सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करने का क्या मतलब है. हालांकि तब नीतीश एनडीए के साथ तो नहीं थे, लेकिन अभी के दौर में वे एनडीए का अहम हिस्सा हैं और उनकी पार्टी का इस तरह का फैसला काफी हैरानी भरा है.

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खैर उस समय वो महागबंधन बनाने की तैयारी में थे और बीजेपी के विरोध में थे तो समझा जा सकता है लेकिन अब तो जेडीयू  एनडीए का हिस्सा है फिर भी उसने योग दिवस के कार्यक्रमों से अपनी दूरी बनाई हुई है. 2017 जुलाई में जेडीयू  के एनडीए में शामिल होने के बाद यह पहला योग दिवस है.

जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि योग के आयोजन में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है. राजीव रंजन ने कहा कि सबसे पहली बात है कि योग विश्व की प्राचीन विधाओं में से एक है, हमारी संस्कृति का पिछले 5 हजार वर्षों से एक अभिन्न हिस्सा रहा है और स्वस्थ रहने के लिए हम सब अपने-अपने घरों में इस यौगिक क्रिया को करते रहे हैं.

उन्होंने कहा कि एकदिवसीय आयोजन का कोई औचित्य समझ नहीं आता है. इस एक दिन के कार्यक्रम से किसी व्यक्ति को स्वस्थ रहने का संदेश नहीं दे सकते हैं ये निरंतर 365 दिनों तक होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि जेडीयू इस योग दिवस पर शामिल नहीं हो रही है और न राज्य सरकार आधिकारिक तौर पर इस कार्यक्रम से जुड़ने जा रही है. लेकिन हमारा ये मानना है कि योग निश्चित तौर पर स्वस्थ रहने का एक श्रोत है. ये हमारी जीवन शैली का अभिन्न अंग है. इसके लिए किसी तरह के सार्वजनिक आयोजन में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है. लेकिन ये व्यक्ति की आजादी का सवाल है जो करना चाहते हैं वो करते हैं, जो नहीं करना चाहते हैं वो नहीं करते.

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नोटबंदी के फैसले का कर चुके हैं विरोध

बता दें ये कोई पहला मौका नहीं है कि नीतीश कुमार या खुद उनकी पार्टी पीएम मोदी के किसी फैसले के खिलाफ है. इससे पहले खुद नीतीश कुमार नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध चुके हैं.

नीतीश कुमार ने नोटबंदी के नतीजों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि बैंकों की भूमिका के कारण नोटबंदी का लाभ जितना लोगों को मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में बैंकों की बड़ी भूमिका है. बैंकों को सिर्फ जमा, निकासी एवं ऋण प्रदान करना ही कार्य नहीं है, बल्कि एक-एक योजना में बैंकों की भूमिका बढ़ गई है.

वहीं जेडीयू की ओर से बिहार में एनडीए के चेहरे को लेकर भी बड़ा बयान दिया गया था. जेडीयू की ओर से कहा गया था कि लोकसभा चुनाव में एनडीए से बिहार को चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे. 

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