प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि संसद का पूरा शीतकालीन सत्र 2जी स्पेक्ट्रम मुद्दे की भेंट चढ़ जाने के मद्देनजर वह संसदीय प्रणाली के भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
उन्होंने उममीद जतायी कि विपक्ष तर्कसंगत रूख अपनायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार कई बार विपक्ष से कह चुकी है कि मौजूदा तंत्र भी वह सब कुछ कर सकता है जो संयुक्त संसदीय समिति कर सकती है.
मनमोहन ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं संसदीय प्रणाली के भविष्य को लेकर चिंतित हूं. मुझे उम्मीद है कि विपक्ष तर्कसंगत रूख अपनायेगा.’ उन्होंने विपक्षी दलों के उस रूख के बारे में पूछे जाने पर यह बात कही. विपक्षी दलों ने संकेत दिया है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में जेपीसी गठित करने की अपनी मांग को वह अगले साल की शुरूआत में बजट सत्र में भी उठा सकते हैं जिससे संसद में गतिरोध और खिंच सकता है.
संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने के एक दिन बाद 10 नवंबर से शुरू हुए गतिरोध के बारे में पूछने पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं दुखी हूं कि संसद में कामकाज नहीं होने दिया जा रहा. हम विपक्ष से कई बार कह चुके हें कि मौजूदा तंत्र भी वही कर सकता है जो जेपीसी करेगी.’
विपक्ष की इस आलोचना कि देश में कई मुद्दों पर शीघ्रता से निपटे जाने की जरूरत के बीच प्रधानमंत्री विदेश चले गये, के बारे में पूछने पर मनमोहन ने कहा, ‘यह पूर्व निर्धारित व्यस्तताएं हैं. यदि हम इनका पालन नहीं करेंगे तो हमें कोई भी गंभीरता से नहीं लेगा. वैसे भी कुछ नहीं हो रहा है (संसद में).’ विपक्ष प्रधानमंत्री पर मूक दर्शक बने रहने का आरोप लगा रहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली का कहना है कि उन्हें ऐसा संकेत नहीं देना चाहिए कि वह शासन करने की इच्छा गंवा रहे हैं.
भाजपा और अन्य विपक्षी दल जेपीसी बनाने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया है.