आज तक के खास कार्यक्रम सीधी बात में इंडिया टुडे के संपादक व इंडिया टुडे ग्रुप के संपादकीय निदेशक प्रभु चावला ने राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री लालू यादव से बातचीत की.
किताब नहीं बल्कि प्रसंग है
लालू ने हाल ही में घोषणा की थी कि बाबरी विध्वंस और लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा तथा उस समय के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर वो एक किताब लिख रहे हैं. उस भावी किताब के बारे में लालू जी का कहना है कि वह राज्य की राजनीति से निकलकर देश की राजनीति में जाने के बाद से उनके अनुभवों की कहानी है. उन्होंने बताया कि वह किताब नहीं बल्कि एक प्रसंग है और उनके जीवन और अनुभवों की किताब है. किताब के विषय में ज्यादा जानकारी देने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि उस किताब में ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र होगा. जब उनसे यह पूछा गया कि किताब लिखने के पीछे की मंशा कहीं विरोधियों पर चोट करना और वोट बटोरना तो नहीं, इस पर लालू ने कहा कि उनका किताब लिखना वोट की राजनीति नहीं है. लालू का कहना है कि देश जानना चाहता है कि बाबरी विध्वंस के बाद आखिर क्या कार्रवाई हुई.
धर्मनिरपेक्षता केवल भाषणों में नहीं होनी चाहिए
किसी व्यक्ति या पार्टी का नाम लिए बगैर उन्होंने यह भी कहा कि धर्मनिरपेक्षता दिखनी चाहिए न कि केवल भाषणों में उसका जिक्र होना चाहिए. अपनी आनेवाली किताब को उन्होंने आईना करार दिया. जब उनसे पूछा गया कि इस बार वो यूपीए सरकार में शामिल क्यों नहीं हैं तो उन्होंने कहा 'हमारी संख्या कम रह गई इसलिए सरकार में नहीं हैं.' उन्होंने चुटकी लेते हुए यह भी कहा कि लालू के सत्ता में नहीं रहने से आलू महंगा हो गया. पूरी बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के विषय में टिप्पणी करने से लालू बचते रहे. बिहार में सत्ता से बाहर होने के सवाल पर उन्होंने कहा 'राज्य में हमारी कोई जमीन नहीं खिसकी है और हार से वो चिंतित नहीं हैं.' आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन के सवाल पर लालू ने कहा कि कांग्रेस चाहे तो अकेले लड़े. बिहार में नीतीश कुमार के राज में कानून व्यवस्था की हालत खस्ता बताते हुए लालू ने कहा कि राज्य में गरीब अमीर सब सरकार से नाराज हैं.