scorecardresearch
 

Opinion: आईआईटी प्रवेश परीक्षा में गलत प्रश्न

देश के शीर्ष प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान आईआईटी तथा अन्य बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा (JEE ) में लाखों छात्र-छात्राएं हर साल भाग लेते हैं. एक खूबसूरत भविष्य का सपना बुने वे इस परीक्षा में बैठते हैं. इसके लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं. लेकिन जब इस राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में प्रश्न ही गलत हों या उनके उत्तर ही गलत दिए गए हों तो क्या कहेंगे?

Advertisement
X
आईआईटी दिल्‍ली
आईआईटी दिल्‍ली

देश के शीर्ष प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान आईआईटी तथा अन्य बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा (JEE ) में लाखों छात्र-छात्राएं हर साल भाग लेते हैं. एक खूबसूरत भविष्य का सपना बुने वे इस परीक्षा में बैठते हैं. इसके लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं. लेकिन जब इस राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में प्रश्न ही गलत हों या उनके उत्तर ही गलत दिए गए हों तो क्या कहेंगे? 

Advertisement

अब इस बार छात्रों और कुछ शिक्षकों का कहना है कि फिजिक्स के खंड में तीन प्रश्न ऐसे हैं जिनके वैकल्पिक उत्तर ही गलत हैं. इसी तरह केमिस्ट्री में एक और मैथ्स में भी एक प्रश्न गलत है. अगर उनका यह दावा सही है तो यह बड़ी चिंता का विषय है. वैसे CBSE के चेयरमैन विनीत जोशी ने कहा है कि अगर प्रश्न गलत है तो परीक्षार्थियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्हें पूरे अंक मिल जाएंगे. लेकिन यह जवाब अपने आप में अधूरा है क्योंकि चेयरमैन प्रश्न तैयार करने वाले शिक्षकों के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं.

बड़ा सवाल है कि CBSE चेयरमैन ने उन शिक्षकों के बारे में क्या सोचा जिन्होंने प्रश्नों के गलत उत्तरों का विकल्प दिया? क्या गलती की सजा सिर्फ छात्र-छात्राएं ही भुगतेंगे या शिक्षक भी यह उत्तरदायित्व लेंगे? क्या यह शिक्षकों के उत्तरदायित्व का हिस्सा नहीं है? गलत उत्तर लिखने पर अगर अंक शून्य हो जाते हैं तो गलत प्रश्न पूछने के बारे में क्या नीति होनी चाहिए? क्या शिक्षक की यह गलती छात्र-छात्राओं की गलती से बड़ी नहीं है? ये ढेरों अनुत्तरित सवाल हैं जो हमेशा भारतीय शिक्षा व्यवस्था के बारे में पूछे जाते हैं.

Advertisement

प्रश्नों के उत्तर गलत होना बड़ा मुद्दा नहीं है. बड़ा मुद्दा है कि शिक्षा व्यवस्था के बारे में हमारी नीति क्या है. हम आज भी एक पारदर्शी शिक्षा व्यवस्था नहीं बना सके जिसमें इस क्षेत्र से जुड़े हर किसी की भागीदारी हो. आज जबकि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्थानों में हमारे संस्थानों के नाम बहुत कम दिखते हैं तो यह सवाल लाजिमी हो जाता है.

शिक्षा के क्षेत्र में हम लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. हमारे शिक्षा संस्थानों के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. हैरानी की बात तो यह है कि इसमें निजी क्षेत्र के आने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ और वे शिक्षा की दुकानें बनकर रह गए. सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई के स्तर में जो गिरावट आई है उसके बारे में क्या कहा जाए. बात प्रश्नों के गलत उत्तर देने की नहीं है, व्यवस्था की कमज़ोरी की है. अब नई सरकार देश में सत्ता संभालेगी तो देखना होगा कि इस बड़े मुद्दे पर उसकी क्या सोच होगी.

Advertisement
Advertisement