निवेशकों से जालसाजी के केस में तिहाड़ जेल में बंद सहारा ग्रुप के मालिक सुब्रत रॉय ने लिखा है कि जेल में तकलीफों और अकेलेपन के बावजूद तनावमुक्त जिंदगी जी रहे हैं. सोमवार को रिलीज हुई अपनी किताब लाइफ मंत्राज में उन्होंने यह बात साझा की है. रॉय ने लिखा है कि भगवान की दया से मैं जेल में भी तनावमुक्त हूं. रॉय ने जेल में रहते हुए तीन किताबों की सीरीज थॉट्स फ्रॉम तिहाड़ लिख रहे हैं. इस सीरीज की यह पहली किताब है.
तीन किताबों की सीरीज है थॉट्स फ्रॉम तिहाड़
लाइफ मंत्राज को सहारा के 39वें स्थापना दिवस पर रिलीज किया गया. किताब में रॉय ने खुद को जस्टिफाइ करने के कोशिश भी की है. उन्होंने लिखा है कि मुझे कई बार ताज्जुब होता है कि आखिर मैंने ऐसा क्या गलत किया. उन्होंने अपने साथी कैदियों की जिंदगी पर भी लिखने की कोशिश की है. रॉय ने लिखा है कि जेल की कोठरी में जितनी भी सुविधा मिल जाए लेकिन वह किसी शॉक से कम नहीं है. जेल के हर कैदी की तरह मैंने भी यही सोचा कि मेरे साथ ही गलत क्यों हुआ? इस तरह की बातें लगातार दिमाग में आती हैं.
आत्मकथा नहीं है यह किताब
रॉय ने लिखा कि जेल में दुनिया से कटे आदमी की हालत कई बार अपने बाल खींचने वाले पागल की तरह हो जाती है. उनका मानना है कि सिर्फ वक्त ही है जो जख्मों पर मरहम का काम करता है. लोगों का कहना कि खुशनुमा जिंदगी तभी जी सकते हैं जब उनके पास ढेर सारा पैसा और सुविधाएं हो को गलत करार देते हुए उन्होंने लिखा कि आदमी को खुशी इन सबसे परे जाकर ही मिलती है. इस पर यकीन न करनेवालों को उन्होंने खुद से मिलने का न्योता भी दिया. उन्होंने लिखा कि वह इस तथ्य को प्रैक्टिकली प्रूव कर देंगे. रॉय ने लिखा है कि भले ही उन्होंने यह किताब जेल में लिखी है लेकिन यह उनकी आत्मकथा नहीं है.
सहारा समूह की याचिका मंजूर
सहारा समूह के खिलाफ मार्केट रेग्युलेटर सेबी की (रीपेमेंट ऑफ मनी) अर्जी पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. सेबी की ओर से वकील अरविंद दातार के मुताबिक पिछले तीन महीने से निवेशकों का पैसा लौटाने को लेकर कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ है. सहारा इस मामले को लेकर कोर्ट से अंतरिम ऑर्डर चाहता है.