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6 घंटे साथ रहेंगे मोदी-जिनपिंग, डिनर में परोसा जाएगा साउथ इंडियन खाना

चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग साउथ इंडियन थाली ही चखेंगे, यानी शुक्रवार को होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ डिनर में वह दक्षिण भारत का लज़ीज़ खाना खाएंगे.

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महाबलीपुरम में मिलेंगे मोदी और जिनपिंग
महाबलीपुरम में मिलेंगे मोदी और जिनपिंग

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  • दो दिन के भारत दौरे पर पहुंचे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग
  • चेन्नई एयरपोर्ट पर पारंपरिक तरीके से जोरदार स्वागत
  • डिनर में शी जिनपिंग को परोसा जाएगा साउथ इंडियन खाना

भारत और चीन के बीच हो रही दूसरी इन्फॉर्मल समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई पहुंच गए हैं. अपने दो दिन के दौरे पर चीन के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई बार मुलाकात करेंगे और दक्षिण भारत के कल्चर से रूबरू होंगे. इस दौरान चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग साउथ इंडियन थाली ही चखेंगे, यानी शुक्रवार को होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ डिनर में वह दक्षिण भारत का लज़ीज़ खाना खाएंगे.

तमिलनाडु के महाबलीपुरम में चीन के साथ ऐतिहासिक रिश्तों की वजह से ये ऐतिहासिक मुलाकात यहां हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शी जिनपिंग को खुद इस कल्चर के बारे में समझाएंगे. इस दौरान शुक्रवार शाम को पीएम मोदी की ओर से जो डिनर का आयोजन किया जाएगा, तो उसमें भारतीय खाना परोसा जाएगा.

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शी जिनपिंग को डिनर में जो साउथ इंडियन थाली परोसी जाएगी, उसमें ये व्यंजन शामिल हो सकते हैं:

* थक्काली रसम

* कढ़लाई कुरूमा

* कवानरसी हलवा

* अरचुविता सांभर

इसके अलावा भी दक्षिण भारत की कई तरह की फेमस डिश शी जिनपिंग को परोसी जाएंगी. इससे पहले जब शी जिनपिंग चेन्नई के एयरपोर्ट पर पहुंचे तो वहां पर भी उनका स्वागत पारंपरिक तरीके से किया गया, यहां उनकी अगवानी करने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री भी मौजूद रहे थे.

पीएम मोदी-शी जिनपिंग की यात्रा से जुड़ी तस्वीरों के लिए यहां परक्लिक करें..

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी कुल 6 घंटे एक साथ रहेंगे. इसमें वन टू वन बैठक करीब 40 मिनट के लिए होगी. जिसके बाद दोनों देशों की ओर से एक प्रेस स्टेटमेंट जारी होगी.

गौरतलब है कि दोनों नेता महाबलीपुरम में अर्जुन की तपस्या स्थली, पंचरथ, मल्लमपुरम के शोरे मंदिर का दौरा करेंगे. ये वही स्थान है, जहां से चीन का पुराना नाता रहा है. चीन और पल्लव वंश के राजा इसी स्थान के जरिए व्यापार करते थे.

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