भारी बारिश ने सरस्वती नदी का उदगम स्थल पूरी तरह तबाह कर दिया. ये उदगम स्थल हरियाणा में यमुनानगर जिले के आदि बद्री इलाके में है. तेज बारिश और पहाड़ धंसने से 5 हजार 112 साल पुराना यहां का भव्य मंदिर बह गया. मंदिर की ये जगह पूरी तरह सपाट हो गई.
पहाड़ से बहकर आए मलबे से मंदिर की मूर्ति भी पूरी तरह दब गई थी. हालांकि बाद में मलबा हटाकर मूर्ति को बाहर निकाला लिया गया. यहां पहाड़ से सरस्वती नदी का पानी रिसकर सरोवर में गिरता है, लेकिन वो सरोवर भी अब मिट्टी और मलबे से भर चुका है.
केंद्र सरकार की मदद से बने म्यूजियम को भी काफी नुकसान पहुंचा है. जमीन धंसने से आदि बद्री जाने के सभी रास्ते भी बंद हो चुके हैं. ये वही सरस्वती नदी का उदगम स्थल है, जिसके तट पर त्रिदेवों ने कभी आराधना की थी.
कहा जाता है कि ये वही सरस्वती नदी का उदगम स्थल है, जिसके तट पर कभी ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने आराधना की थी. इसी की धारा में भगवान कृष्ण ने पांडवों को महाभारत विजय के लिए यज्ञ करवाया था. इसी नदी का ये उदगम स्थल है. जो यमुना नगर के काठगढ़ गांव के पास है.
बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई है कि अब इस मंदिर और सरोवर के निशान भी नजर नहीं आ रहे. इस इलाके में तीन दिन पहले तक मंदिर और सरोवर नजर आ रहा था. लेकिन अब वहां कुछ नहीं है. यहां देश-विदेश से भक्त सरस्वती के दर्शनों को आते रहे हैं.
इसके नजदीक सैंकड़ों साल पुराना गोमुख भी था, जहां से सरस्वती नदी बूंद-बूंद गिरती थी. लोग इन बूंदों को इकट्ठा कर घर को ले जाते थे, लेकिन वो गोमुख भी पहाड़ से गिरे मलबे में दब गया है.