झारखंड के रायगढ़ में लिचिंग के आरोपियों को सम्मानित करने के मामले पर यशवंत सिन्हा ने अपने बेटे जयंत सिन्हा की आलोचना की है. यशवंत सिन्हा ने ट्वीट करके कहा कि वह अपने बेटे के कृत्य का समर्थन नहीं करते. साथ ही उन्होंने ट्विटर पर आलोचना करने वालों को भी जवाब दिया.
बीते दिनों बीफ ले जाने के शक में मारे गए युवक (अलीमुद्दीन) की हत्या के 8 आरोपियों को झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी. जमानत मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री और यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा ने शुक्रवार को इन आरोपियों का माला पहनाकर स्वागत किया था. साथ ही बीजेपी जिला कार्यालय में मिठाई इनकी जमानत पर बांटी गई थी. इसे लेकर यशवंत सिन्हा पर भी निशाना साधा गया तो उन्होंने ट्विटर पर इसका जवाब दिया.
Earlier I was the Nalayak Baap of a Layak Beta. Now the roles are reversed. That is twitter. I do not approve of my son's action. But I know even this will lead to further abuse. You can never win.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) July 7, 2018
यशवंत सिन्हा ने लिखा, 'कुछ दिन पहले तक मैं लायक बेटे का नालायक बाप था, लेकिन अब रोल उलट गया है. यही ट्विटर है. मैं अपने बेटे के कृत्य का समर्थन नहीं करता. लेकिन जानता हूं कि इसके बाद भी गालियां पड़ेंगीं. तुम कभी जीत ही नहीं सकते.' इससे पहले बीजेपी की आलोचना करने पर भी यशवंत सिन्हा को लगातार ट्विटर पर ट्रोल किया जाता रहा है.
बीजेपी ने किया था स्वागत
मॉब लिंचिंग के आरोपियों को जमानत मिलने पर न सिर्फ जयंत सिन्हा ने उनका स्वागत किया बल्कि बीजेपी कार्यालय में इसका जश्न मनाया गया. इन आरोपियों की रिहाई के लिए लगातार आंदोलन करने वाले पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने बीजेपी कार्यालय पर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जमानत मिलने पर खुशी का इजहार किया. उन्होंने कहा, वो कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. मॉब लिंचिंग के आरोपियों का इस तरह से स्वागत करना और मिठाई बांटने को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है.
क्या है पूरा मामला
29 जून 2017 को झारखंड के रामगढ़ में भीड़ ने मीट व्यापारी अलीमुद्दीन अंसारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. अलीमुद्दीन अपनी वैन से मांस लेकर आ रहा था. वैन में बीफ होने के शक में कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया था. उन लोगों ने पहले उसकी गाड़ी को आग लगाई और फिर अलीमुद्दीन को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. घटना के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया था. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आश्वासन के बाद ही अलीमुद्दीन का परिवार शव लेने को तैयार हुआ था.
इस हत्याकांड में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. वहीं, एक नाबालिग भी इसमें शामिल है, जिसे बाल सुधार गृह भेजा गया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता बीएन त्रिपाठी द्वारा दिए गए साक्ष्य और बहस को मानते हुए कोर्ट ने हत्या के दौरान बनाए गए वीडियो फुटेज को मानने से इनकार कर दिया. इस वजह से 8 लोगों को जमानत मिल गई. वहीं, 3 लोगों की जमानत के लिए अर्जी नहीं लगाई गई थी. इस वजह से उन्हें जमानत नहीं मिल सकी.