जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को कश्मीरी कैदियों को खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में मलिक ने पाकिस्तान के जेल में बंद कुलभूषण जाधव को लेकर सुषमा स्वराज द्वारा दिए गए भाषण का जिक्र किया है.
द हिन्दू में छपी रिपोर्ट के अनुसार सुषमा स्वराज द्वारा 25 दिसंबर को संसद में दिए गए भावुक भाषण का जिक्र करते हुए मलिक ने इस पत्र में लिखा है कि मैं आपका भाषण सुन रहा था जिसमें आपने पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव से उनके परिवार की मुलाकात के बारे में बात की. आपका वो भाषण मेरे दिल को छू गया.
इस पत्र में मलिक ने लिखा कि मैं भी कुलभूषण जाधव के अधिकारों का समर्थन करता हूं. लेकिन आपके भाषण से मुझे वो दिन याद आ गए जब तिहाड़ जेल में मेरी बूढ़ी मां को मुझे गले लगाने का मौका तक नहीं दिया था.
यही नहीं मलिक ने लिखा कि जोधपुर जेल में मेरी बहन मुझे देखने के लिए रोती रही लेकिन न तो उसे इंटरकॉम के जरिए बात करने दी गई और न ही शीशे की दीवार के उस पार से देखने की इजाजत दी गई.
मलिक ने लिखा कि मैं भी जेल में बंद कैदियों के अधिकारों का समर्थन करता हूं. साथ ही सुषमा स्वराज से कहा कि उन्हें भी भारत के जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों के प्रति ऐसी ही नीति अपनाना चाहिए.
जेल में बंद शब्बीर शाह, अयाज अकबर, अलताफ शाह, शाहिद उल इस्लाम, पीर सैफुल्लाह और अन्य कैदियों के परिजनों की कोशिशों का हवाला देते हुए मलिक ने लिखा कि उन्हें भी अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों से मुलाकात करने देना चाहिए.
पत्र के अंत में मलिक ने लिखा कि मैंने ये पत्र राज नेता के तौर पर नहीं, बल्कि जेल में बिताए दिनों के दुखों के प्रत्यक्षदर्शी के रूप में लिख रहा हूं. इसमें मलिक ने आहवान कि अब हमें वादों और नियमों का पालन करने के लिए, कम से कम कैदियों के मामले में उनके जीवन व उनके परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने का काम करने चाहिए.