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क्या मोदी सरकार के फैसलों से नाराज चल रहे हैं बाबा रामदेव?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बाबा रामदेव के अच्छे संबंध बताए जाते रहे हैं, लेकिन हाल के कुछ फैसलों के बाद लगता है कि रामदेव अब इन सबसे खुश नहीं हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बाबा रामदेव (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बाबा रामदेव (फाइल फोटो)

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कभी खुलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वाले पहले योगगुरु और अब बिजनेसमैन बन चुके बाबा रामदेव को क्या इन दिनों केंद्र सरकार के फैसले रास नहीं आ रहे, माना जा रहा है कि वो इन फैसलों से खफा हैं.

मोदी सरकार ने पिछले दिनों रिटेल बाजार में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दे दी है, लेकिन इस फैसले को मोदी के धुर प्रशंसक कहे जाने वाले रामदेव का समर्थन नहीं मिल सका . एफडीआई के इतर उन्होंने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी शुरुआत जीएसटी के जरिए घी, मक्खन और गोमूत्र जैसी आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाए जाने की आलोचना की. साथ ही मांग की इन जरूरी चीजों पर टैक्स दर कम किए जाने चाहिए.

फिलहाल रामदेव ने केंद्र की मोदी सरकार को बड़ा झटका देते हुए रिटेल में एफडीआई का विरोध किया है. हालांकि उन्होंने अपनी ओर से यह सफाई देते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर कोई राजनीतिक पंगा मोल नहीं लेना चाहते, इसलिए इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि अभी इसको लेकर आंदोलन करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन स्वदेशी का आंदोलन जारी रखेंगे. स्वदेशी को लेकर उनका जो स्टैंड है वो आज भी कायम है. हम अपने स्वदेशी के दम पर विदेशियों को भगाएंगे.

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योगगुरु बाबा रामदेव मंगलवार को पतंजलि के उत्पाद अमेजॉन और फ्लिपकॉर्ट पर बिक्री के लिए उपलब्ध होने के संबंध में पत्रकारों को जानकारी दे रहे थे. इसी प्रेसवार्ता में जब उनसे पूछा गया कि क्या वे रिटेल में एफडीआई के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन करते हैं, तो उन्होंने कहा कि उनका मत है कि रिटेल में एफडीआई नहीं आना चाहिए.

रामदेव देश के उन चंद लोगों में हैं जो आमतौर पर हर विषय पर खुलकर अपने विचार रखते हैं लेकिन वह इस मुद्दे पर चुप्पी साध गए. हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि मोदी राज में ही उनका बिजनेस बढ़िया चल रहा है. उनके लिए एक के बाद एक रोड़े हटाए जा रहे हैं. उनकी कंपनी को प्लॉन्ट लगाने के लिए सस्ते में जमीन देने की बात कही जाती रही है. हालांकि सरकार के कुछ अहम फैसले से वह नाराज दिखते हैं.

रिटेल में एफडीआई से पहले उन्होंने पिछले साल गौमूत्र, देशी घी, मक्खन आदि को जीएसटी के महंगे स्लैब में रखे जाने का विरोध किया. हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार ने जीएसटी में आई दिक्कतों में कई सुधार किए हैं, लेकिन उन्हें कुछ और चीजों में सुधार किया जाना चाहिए. रामदेव ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार ने गौमूत्र पर 18% जीएसटी लगा दिया जबकि गाय को हमारे देश में गौमाता का दर्जा दिया जाता है.

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उन्होंने यहां तक कहा कि गाय के घी और मक्खन को भी जीएसटी के जरिए महंगा कर दिया गया है. पहले इस पर टैक्स 5% लगता था लेकिन अब उस को 12% के स्लैब में डाल दिया गया है. ऐसा किए जाने से घी और मक्खन के दाम बढ़ गए हैं. रामदेव ने कहा कि इन चीजों को 5% के स्लैब में लाकर गौकशी से रोका जा सकता है.

बजट की उम्मीदों पर रामदेव ने कहा कि लोगों को पहाड़ जैसी उम्मीदें थी. लोगों को उम्मीद थी कि मोदी सरकार बेरोजगारी, गरीबी और किसानों की आय आदि को लेकर कुछ अच्छा करेगी. बजट के जरिए बेरोजगारी, किसान और गरीबों के लिए कुछ अलग किए जाने की जरुरत है.

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