बदहाल बिजली व्यवस्था और सड़कों पर गड्ढे, लंबे समय से यूपी की पहचान के साथ जुड़े रहे हैं. 2017 में जब योगी सरकार सत्ता में आई तो उसे भी इस बात का अहसास था और जमीन पर बदलाव नजर आए इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया कि सरकार के आने के सौ दिन के भीतर प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त कर दिया जाएगा. आज जब सरकार को सत्ता में आए पूरे एक साल हो चुके हैं तब ये कहा जा सकता है कि सरकारी दावों के उलट यूपी में सड़कें आज भी गड्ढों से मुक्त नहीं हो पाई हैं.
एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में योगी सरकार ने जो विज्ञापन जारी किया है उसमें सूबे की 1 लाख 1 हजार किमी की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का दावा किया गया है. प्रदेश में कुल 1 लाख 21 हजार 816 किलोमीटर सड़कें ऐसी थीं, जिनपर गड्ढे थे. यानी सरकार के दावों में ही साफ है कि करीब 21 हजार किलोमीटर सड़कें अब भी गड्ढामुक्त नहीं हो पाई हैं, जबकि सरकार को काम करते हुए एक साल पूरा हो चुका है.
योगी सरकार ने पदभार संभालते ही यूपी की सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने की पहली डेडलाइन 15 जून तय की थी. सरकार ने PWD सहित कई विभागों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी. तय मियाद पूरी हो गई लेकिन सूबे की सड़कें गड्ढामुक्त नहीं हो सकीं. इसके बाद सरकार ने दावा किया कि यूपी की 50 फीसदी सड़कों के गड्ढे भर दिए गए हैं. 15 जून तक योगी सरकार 61 हजार 433 किलोमीटर यानी करीब आधी सड़कें ही गड्ढामुक्त कर सकी.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि सड़कों को गड्डा मुक्त करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं. विभाग के पास उचित बजट नहीं था फिर भी हमने अन्य विभागों के सहयोग से लक्ष्य को पूरा किया है.
1 लाख 1 हजार किमी गड्ढामुक्त सड़कें
उत्तर प्रदेश में 3 लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कों का जाल फैला हुआ है. यूपी में पीडब्ल्यूडी की कुल 2 लाख 25 हजार 825 किलोमीटर लंबी सड़कें हैं. करीब 1 लाख 21 हजार 816 किलोमीटर सड़कें गड्ढे वाली थीं. एक साल के बाद योगी सरकार ने 1 लाख 1 हजार किलोमीटर सड़कें गड्ढामुक्त करने का दावा है.
इन विभागों को भरने हैं गड्ढे
लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, पंचायती राज विभाग, मंडी परिषद, नगर निकाय एवं निगर निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण. इनमें से लोक निर्माण विभाग ने ही सबसे ज्यादा गड्ढा मुक्त सड़कें बनाने का काम किया, बाकी विभाग सुस्त रहे.