फिल्म पद्मावती पर यूपी डीजीपी की बड़ी बैठक के बाद योगी सरकार ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह 1 दिसंबर को होने वाले फिल्म पद्मावती की रिलीज को टाल दे, क्योंकि इस दिन राज्य में निकाय चुनाव के नतीजे आने हैं. सरकार का कहना है कि एक तरफ नतीजों को लेकर कानून व्यवस्था बनाए रखना और दूसरी तरफ फिल्म रिलीज के वक्त हंगामे को संभालना एक साथ मुश्किल है.
योगी सरकार की तरफ से प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को भेजे पत्र में लिखा है कि ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ और काल्पनिक कथाओं वाली फिल्में समाज में विद्वेष पैदा करने के साथ ही कानून व्यवस्था के लिए भी गंभीर चुनौती होती जा रही है.
पत्र में कहा गया है कि फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही विभिन्न संगठनों में खासा गुस्सा है और कई संगठनों ने फिल्म के प्रदर्शन होने पर सिनेमाघरों में तोड़फोड़ आगजनी और सड़कों पर आंदोलन की चेतावनी दे रखी है. ऐसे में इसकी रिलीज को टाला जाए. इस पत्र में सेंसर बोर्ड से भी लोगों की भावनाओं का आदर करने की अपील की गई है.
पद्मावती की राह में कई मुश्किलें
राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार गृह विभाग ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव को खत लिखकर बताया है कि पद्मावती फिल्म की कथावस्तु एवं ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शांति-व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.विभिन्न संगठन फिल्म के प्रदर्शित होने पर सिनेमाघरों में तोड़फोड़, आगजनी की चेतावनी दे रहे हैं. ऐसे में मंत्रालय से अनुरोध है कि वह इस बारे में सेंसर बोर्ड को बताएं, जिससे फिल्म के प्रमाणन पर निर्णय लेते समय बोर्ड के सदस्य जनभावनाओं को जानते हुए विधि अनुसार निर्णय ले सकें.
करणी सेना का 1 दिसंबर को भारत बंद
उल्लेखनीय है कि फिल्म का विरोध कर रही करणी सेना ने फिल्म की रिलीज वाले दिन एक दिसंबर को ही भारत बंद का आह्वान किया है. साथ ही करणी सेना ने धमकी भी दी है कि जिस सिनेमाघर में यह फिल्म लगेगी, उस सिनेमाघर को जला दिया जाएगा .
उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने पत्र में कहा है, "चूंकि प्रदेश में इस वक्त नगरीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. वोटों की गिनती एक दिसम्बर को होगी. अगले दिन बारावफात का पर्व भी होना सम्भावित है, जिसमें पारम्परिक रूप से मुस्लिम समुदाय व्यापक पैमाने पर जुलूस निकालता है. ऐसे में अगर फिल्म के खिलाफ कोई प्रदर्शन होने पर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर अशांति तथा कानून एवं व्यवस्था भंग होने की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसे में आगामी एक दिसम्बर को फिल्म का रिलीज होना शांति-व्यवस्था के हित में नहीं होगा."
इंटेलिजेंस रिपोर्ट में भी शांति भंग होने की आशंका
योगी सरकार ने अपने पत्र में यह उल्लेख भी किया है कि पद्मावती फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने को लेकर कुछ संगठनों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसको न्यायालय द्वारा इस टिप्पणी के साथ नहीं सुना गया कि इसके लिए राहत का वैकल्पिक पटल उपलब्ध है. यानी इस फिल्म के संबंध में संबंधित पक्ष द्वारा सेंसर बोर्ड के समक्ष आपत्तियां उठायी जा सकती हैं.
प्रमुख गृह सचिव ने केंद्र को भेजे अपने पत्र में इंटेलिजेंस रिपोर्ट का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि 9 अक्टूबर को फिल्म का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद से ही कई सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य संगठन इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन संगठनों द्वारा फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर बैठक, प्रदर्शन, नारेबाजी, जुलूस, पुतला दहन, ज्ञापन आदि के जरिए तीव्र प्रतिक्रिया जताई जा रही है.