उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ म्यांमार और मॉरीशस के बाद चीन के दौरे पर जाएंगे. योगी का ये तीसरा विदेश दौरा होगा, योगी की कोशिश भारत और चीन के रिश्तों को और मजबूत बनाने की है. हालांकि इस दौरे की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय ने कर्नाटक चुनाव के बाद योगी के चीन दौरे को लेकर तैयारी शुरू कर दी है.
इस दौरे की योजना विदेश मंत्रालय ने विभिन्न देशों के साथ स्टेट टू स्टेट कॉन्टैक्ट प्रोग्राम के तहत बनाई है, लेकिन योगी इस दौरे को पूरी तरह बिजनेस के लिहाज से भुनाना चाहते हैं. राज्य के अधिकारियों और बिजनेस प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शंघाई भी जा सकते हैं, उनकी इच्छा यूपी में अगले साल प्रस्तावित ग्लोबल समिट के लिए निवेश आकर्षित करने की भी है. इस दौरे को पूरी तरह इंवेस्टर समिट के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, और योगी इसे पूरी तरह भुनाने की तैयारी में हैं.
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने इस दौरे के लिए अलग एजेंडा भी तैयार रखा है. मुख्यमंत्री यूपी बुद्धिस्ट टूरिस्ट के लिए ज्यादा से ज्यादा चीनी पर्यटक चाहते हैं. पद संभालने के बाद से ही योगी का फोकस पर्यटन पर रहा है और लिहाजा वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा चीनी यात्री बुद्ध की धरती घूमने आएं. पिछले कुछ सालों में चीनी यात्रियों की संख्या कुशीनगर और सारनाथ जैसे टूरिस्ट स्थलों पर बढ़ी है, लेकिन योगी आदित्यनाथ इस सेक्टर को और ज्यादा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
पर्यटन सचिव अवनीश अवस्थी ने कहा कि मुख्यमंत्री का चीन दौरा लगभग तय है, लेकिन तारीखें तय होनी बाकी हैं. उन्होंने कहा कि इस दौरे का प्रस्ताव विदेश मंत्रालय की ओर से आया है, और उन्होंने ही इसकी योजना बनाई है. लिहाजा इस दौरे में राज्य की भूमिका बहुत सीमित है.
मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से चीन दूसरा बौद्ध देश है, जहां योगी आदित्यनाथ जाने वाले हैं. इससे पहले योगी आदित्यनाथ म्यांमार और मॉरीशस का भी दौरा कर चुके हैं. वास्तव में मॉरीशस के बिजनेस प्रतिनिधियों ने यूपी इंन्वेस्टर समिट में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है.
योगी ने ज्यादा से ज्यादा ध्यान प्रोडक्शन सेक्टर पर केंद्रित किया है और वे बड़ी संख्या में प्रोडक्शन यूनिट चाहते हैं. वैश्विक स्तर पर चीन एक बड़ा प्रोडक्शन हब है, योगी का दौरा इस क्षेत्र में चीनी अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करने का है.