दिल्ली की एक अदालत ने 17 वर्षीय लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोपी युवक को तब बरी कर दिया, जब नाबालिग लड़की ने कहा कि वह उसके साथ रहना चाहती है, क्योंकि वे पहले से ही विवाहित हैं और वह जल्द ही मां बनने वाली है.
अदालत ने 19 वर्षीय युवक को यह कहते हुए बरी कर दिया कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता हो कि ‘गरीब और अनपढ़’ लोग प्यार नहीं कर सकते और अगर ‘जालिम समाज’ इसे मान्यता दे या नहीं, दोनों सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए विवाहित दंपति हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि लड़की इस साल जनवरी में हुई घटना के समय 16 साल तीन महीने की थी. वह सोच-समझकर युवक के साथ भागी थी और उसने यौन संबंध बनाने के लिए उसे मजबूर नहीं किया था.
अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि लड़की के परिवार ने उससे नाता तोड़ लिया है. इसलिए उसका कल्याण इसी में है कि वह अपने पति के साथ रहे. अदालत ने रिमांड होम ‘निर्मल छाया’ को उसे तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया. उसका पति दिल्ली का रहने वाला है. अदालत ने इस आदेश की एक प्रति ‘निर्मल छाया’ के अध्यक्ष को सूचना और आवश्यक अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है.
न्यायाधीश ने कहा, 'ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता है कि गरीब और अनपढ़ लोग प्यार नहीं कर सकते और शादी नहीं कर सकते.' उन्होंने कहा, 'मैंने कहीं सार्थक वाक्य पढ़ा कि प्यार किसी तर्क, कोई सीमा, कोई दूरी नहीं जानता. इसकी एकमात्र मंशा लोगों को हमेशा के लिए एकसाथ लाने की है.'
अदालत ने अभियोजक की दलीलों को खारिज कर दिया कि आरोपी ने सिर्फ लड़की के माथे पर सिंदूर डाला था और उन्होंने शादी के लिए ‘सात फेरे’ नहीं लिए थे. अभियोजन पक्ष के अनुसार बिहार निवासी लड़की दिल्ली में अपने भाई और चाचा के साथ रहती थी और उसकी युवक से दोस्ती हो गई और फिर उसका लड़के के साथ प्रेम हो गया. इस रिश्ते का लड़की के चाचा-चाची ने विरोध किया और उनके निर्देश पर उसका भाई उसके साथ र्दुव्यवहार करता था और उसे पीटता था. पुलिस ने बताया कि दंपति 19 जनवरी को भागकर बिहार चले गए और वहां पति और पत्नी की तरह चार महीने तक रहे.
उसने कहा कि लड़की के भाई ने लड़के के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया कि वह परिवार की आपत्ति के बावजूद उसे शादी करने के लिए ले गया है और मामले के बारे में जानने के बाद वे दिल्ली वापस आए. अदालत ने कहा कि इस मामले में किशोरवय के प्रेम का मामला था, जिसमें हमारे जालिम समाज और न्यायिक व्यवस्था ने दोनों प्रेमी जोड़े को अलग कर दिया और उन्हें कड़वा सबक दिया है. युवक को बरी करते हुए अदालत ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि लड़की को उससे शादी करने को मजबूर किया गया या उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने को मजबूर किया.