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युवा पूरी दुनिया को बदल सकते हैं: जितिन प्रसाद

इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव के दूसरे दिन का पहला सत्र युवाओं के नाम रहा. कॉनक्‍लेव के इस सत्र में जितिन प्रसाद, फरहान अख्‍तर, अभिनव बिंद्रा और प्रियंका चोपड़ा शामिल हुए.  इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव का वीडियो देखें । विस्‍तृत कवरेज ।

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आठवें इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कई नौजवान हस्तियां शामिल हुईं. सबने एक सुर में कहा कि बदलाव जरूरी है और हम ये बदलाव लाकर रहेंगे. बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शाहरुख खान ने कहा कि कला नफरत के जख्मों पर मरहम का काम कर सकती है. क्या सोचता है आज का युवा, किस बात पर धड़कता है उसका दिल, क्या तैयार है वो बदलते वक्त की चुनौतियों से जूझने के  लिए.

इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव के दूसरे दिन इन्ही मुद्दों पर राय रखने की बारी थी अलग क्षेत्रों की नामचीन नौजवान हस्तियों की. भारतीय सिनेमा जगत में आज के सबसे बड़े सितारे शाहरुख खान ने अपनी बात की शुरुआत उसी अंदाज में ही की जिसके लिये वो जाने जाते हैं यानी लोगों का मनोरंजन. क्या कला नफरत को मार सकती है - इस सवाल पर शाहरुख बेहद संजीदा थे औऱ उन्होंने साफ कहा कि ऐसा मुमकिन तभी हो सकता है जब कोशिशें ईमानदारी से औऱ लगातार की जायें.

शाहरुख ने कहा कि मुंबई पर आतंकी हमले के बाद फिल्मी सितारों की तरह हमनें अपनी सुरक्षा बढ़ा ली लेकिन ये साफ हो गया है कि अब कोई भी जगह सुरक्षित नहीं. दुनिया में काफी कुछ हो रहा है और हमें इस बात को बढ़ावा देना चाहिए कि कला किस तरह नफरत और बुराई के बीच मददगार साबित पुल का काम कर सकती है. शाहरुख के पहले बहस इस बात पर चल रही थी कि क्या आज का नौजवान बदलते वक्त की चुनौतियों से जूझने के लिए तैयार है? रायशुमारी के इस दौर में फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने ये साबित कर दिया कि वो आज की नौजवान सोच की बेहतरीन नुमाइंदा हैं.

प्रियंका ने कहा 'अगर मैं कुछ कह रही हूं जो लोगों के लिए मायने रखती है तो उसे अहमियत दी जाना चाहिए. मैं अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को गंभीरता से लेती हूं. मैं कोई नेता नहीं हूं लेकिन मैं आज की युवा पीढ़ी की आवाज़ हूं जिसके दिमाग़ में हज़ारों बातें और लाखों विचार हैं.' मंच पर जब ओलंपिक के सुनहरे सितारे अभिनव बिंद्रा की बारी आयी तो क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों की बदहाली का दर्द छलक आया.

बिंद्रा ने कहा 'मैं ओलंपिक खेलों की बात करता हूं. हमारे क्रिकेटर हमारे बेहतरीन राजदूत है लेकिन क्रिकेट दुनिया के अधिकतर देशों तक नहीं पहुंचता. इसलिए ओलंपिक खेलों की अहमियत है. ओलंपिक खेल देश की गरिमा बढ़ाने में अहम है.'

नये जमाने में नयी सोच की सुबह की उम्मीद लेकर प्रियंका गयीं तो 'दिल चाहता है' और 'रॉक ऑन' जैसी फिल्में देने वाले फरहान अख्तर लोगों में बढ़ती असंवेदनशीलता और कानून को हाथ में लेने की मानसिकता से परेशान नज़र आए. राजनीति की नौजवान जमात के सितारे और मंत्री जितिन प्रसाद इस भरोसे के साथ दिखे कि मुल्क में बदलाव नौजवानों के जरिये ही मुमकिन हो सकेगी. ये दीगर बात है कि उन्होंन इस दौरान राहुल गांधी का जिक्र जमकर किया.

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