नोटबंदी के बाद रोजाना बदलते नियम लोगों के लिए चिंता का सबब बन गए हैं. बैंक अपनी मनमानी कर रहे हैं और रोज नए-नए नियमों का हवाला देकर ग्राहकों को उलझन में डाल रहे हैं. नियमों में होने वाले बदलाव से आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है. नोटबंदी के बाद कश्मीर से दस ही दिन पहले दिल्ली आए मोहम्मद आयूब को अपनी मां के इलाज के लिए सात हजार रुपए की जरूरत है लेकिन नोटबंदी के इस दौर ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
आयूब दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में अपनी मां का इलाज करा रहे हैं और गुरुवार को उनकी मां का ऑपरेशन किया जाना है. अस्पताल ने ऑपरेशन के लिए पैसे मांगे हैं लेकिन वहां कैशलेस पेमेंट की सुविधा नहीं है. आयूब के पास जो डेबिट कार्ड है वह सर्वर फेल होने की वजह से काम नहीं कर रहा है. हालांकि उन्होने बमुश्किल तीन हजार रुपए जुगाड़ कर अस्पताल में जमा करा दिए हैं.
आयूब अब बकाया पैसे निकालने के लिए दिल्ली के बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं. आयूब चांदनी चौक के एसबीआई बैंक से चेक के जरिए रुपए निकालने चाहते थे. लेकिन उन्होंने बताया कि वह सुबह 8 बजे बैंक पहुंच गए थे लेकिन 10 बजे बैंक खुलने के बाद जैसे ही काउंटर पर पहुंचे तो कर्मचारी ने चेक से कैश देने से मना कर दिया. आयूब के कश्मीर के एसबीआई में अकाउंट है जिसके चेक से वह 7 हजार रुपए निकलवाना चाहते थे.
हालांकि नियम के मुताबिक किसी भी एसबीआई ब्रांच से कैश निकालने की अनुमति है बावजूद इसके बैंक अधिकारी उन्हें कैश देने की बजाय एक बैंक से दूसरे बैंक के चक्कर लगवा रहे हैं. नोटबंदी के बाद से ही कई बड़े बैंक आरबीआई के नियम के उलट काम करते नज़र आए, लेकिन सरकार कड़ा कदम उठाने की बजाय ऐसे बैंकों को नज़रअंदाज करती दिख रही है। नतीजा ये हुआ कि आयूब जैसे ज़रूरतमंद लोग बैंक के धक्के खाने को मजबूर हैं।