राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान और भारत को सियाचीन से अपने सैनिकों को वापस बुला लेना चाहिए, क्योंकि वहां सैनिकों की तैनाती से दोनों देशों के राजकोष पर बोझ बढ़ा है.
जरदारी ने कराची में मुख्यमंत्री के आवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि सैनिकों की तैनाती में भारी लागत के चलते वहां से जवानों को हटाने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा कि सियाचीन में तैनात सैनिकों पर भारतीय सेना का खर्च पाकिस्तान से कहीं ज्यादा है.
जरदारी ने कहा कि इसके बावजूद पाकिस्तान ने भारत को सुझाव दिया है कि दोनों देशों को वहां से अपने बलों को हटा लेना चाहिए. गत 15 जुलाई को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत में प्रगति नहीं होने के बारे में जरदारी ने कहा कि बातचीत में रुकावटों के लिए भारत की घरेलू नीतियां जिम्मेदार हैं.
हालांकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के साथ सार्थक संवाद फिर से शुरू होने की उम्मीद है. इसी जगह एक और समूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान ने नदियों के जल की साझेदारी पर भारत के साथ विवादों को सुलझाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी की सेवाएं मध्यस्थ के तौर पर ली गयी हैं.