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तेलंगाना

11 दिन तक पेड़ पर ही रहा कोरोना मरीज, तस्वीर हुई वायरल

आइसोलेट कर 11 दिन तक पेड़ पर ही रहा कोरोना मरीज
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कोरोना वायरस महामारी की दहशत भारत के गांवों में अब साफ देखी जा सकती है. गांवों में मेडिकल फैसिलिटी तो छोड़िए होम आइसोलेशन भी मुसीबत की वजह बन चुका है. हालात ऐसे हैं कि तेलंगाना के एक युवक ने अपने घर के ही अहाते में स्थित एक पेड़ पर खुद को आइसोलेट कर लिया है ताकि परिवार के सदस्य संक्रमण से सुरक्षित रह सकें.

आइसोलेट कर 11 दिन तक पेड़ पर ही रहा कोरोना मरीज
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तेलंगाना के नालगोंडा जिले के कोठानन्दीकोंडा गांव का यह युवक जब कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ तो डॉक्टर ने उसे होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी. घर में सिर्फ एक कमरा था. लिहाजा बीमारी से जूझ रहे इस युवक ने पेड़ के ऊपर ही अपना आशियाना बना लिया.

आइसोलेट कर 11 दिन तक पेड़ पर ही रहा कोरोना मरीज
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शिवा नाम का ये युवक हैदराबाद में पढ़ाई करता है. लॉकडाउन के चलते वह अपने गांव लौटा और इंदिरा क्रांति पाठम सेंटर में काम करने लगा, जिस दौरान कोरोना वायरस जांच में वह पॉजिटिव पाया गया. महज एक कमरे के घर में रहने वाले उसके चार सदस्यों वाले परिवार के लिए ये हालात डराने वाला था. परिवार के इस डर को किसी सरकार ने नहीं बल्कि अहाते में लगे एक पेड़ ने खत्म किया.

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आइसोलेट कर 11 दिन तक पेड़ पर ही रहा कोरोना मरीज
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25 साल का शिवा पिछले 10 दिनों से अपने घर के सामने लगे पेड़ के ऊपर रह रहा है. पेड़ के ऊपर बने ट्री-हाउस में ही परिवार से दूर शिवा अपनी तीमारदारी करता है, संगीत से अपना मन बहलाता है और अच्छी बात ये ही कि उसकी स्थिति भी सुधर रही है. 

आइसोलेट कर 11 दिन तक पेड़ पर ही रहा कोरोना मरीज
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कोरोना वायरस की वजह से देश के ग्रामीण इलाकों की स्थिति बेहद खराब है. ऐसे में लोग अलग अलग तरीकों से अपना और अपने परिवार का  बचाव करने में जुटे हैं. इलाज न मिल पाने की वजह से लोगों की मौत हो रही है. साल 2020 की शुरुआत में जब कोरोना वायरस महामारी की दस्तक शहरों तक भी नहीं पहुंची थी तब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अपने पंचायती राज मंत्री को राज्य के हर गांव में ‘वैकुण्ठ धामम’ (श्मशान/कब्रगाह) बनवाने का निर्देश दिया था. सोच साफ थी - गांवों में मृतकों का दाह संस्कार सुचारु ढंग से हो और दिवंगत आत्मा के आगे का सफर पूरे सम्मान के साथ शुरू हो. 

गांव में लोगों ने किया वैकुण्ठ धाम में खुद को   क्वारंटीन
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तब से अब तक एक साल से थोड़ा ज़्यादा वक्त गुजर चुका है. कोविड-19 का रूप विकराल हो चुका है. गावों में स्थिति शहरों से कहीं ज़्यादा भयावह हो चुकी है. तेलंगाना के उन्हीं गावों में पिछले साल बने ‘वैकुण्ठ धाम’ का उपयोग लाशों को जलाने या दफनाने से ज्यादा कोरोना वायरस से संक्रमित लोग खुद को आइसोलेट करने के लिए कर रहे हैं.

गांव में लोगों ने किया वैकुण्ठ धाम में खुद को   क्वारंटीन
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महबूबनगर जिले के नवाबपेट जोन में स्थित किश्तमपाली ग्राम पंचायत में पांच लोगों ने हाल ही में बने ‘वैकुण्ठ धाम’ में खुद को क्वारंटीन कर रखा है. विडंबना देखिए, स्थानीय चिकित्सा आधिकारी उसी श्मशान या कब्रगाह में मरीजों की देखरेख भी कर रहे हैं.   

गांव में लोगों ने किया वैकुण्ठ धाम में खुद को   क्वारंटीन
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कुछ ही दिन पहले ऐसी ही एक घटना में एक महिला और एक पुरुष कोरोना मरीज ने संगारेड्डी जिले के कल्हर मंडल में स्थित कानपुर गांव में खुद को श्मशान में क्वारंटीन किया था.

गांव में लोगों ने किया वैकुण्ठ धाम में खुद को   क्वारंटीन
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तेलंगाना के गांवों में ज़्यादातर घर एक या दो कमरे के हैं. छोटे घरों में होम आइसोलेशन परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए खतरनाक है. राज्य सरकार गांवों में कोई भी क्वारंटीन फैसिलिटी देने में अब तक नाकाम रही है. लिहाजा गांव वाले ज़िंदगी की आस में खुद को श्मशान में क्वारंटीन करने के लिए मजबूर हैं.

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