एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अमित शाह, मोदी और आरएसएस को पता है कि इस पार्टी ने नेहरू से लेकर मोदी तक प्रधानमंत्रियों का सामना किया है. एमआईएम (AIMIM) पार्टी को कमजोर करने की ताकत किसी में नहीं थी. यही कारण है कि अमित शाह ने जब भी तेलंगाना का दौरा किया तो उन्होंने मजलिस (एआईएमआईएम पार्टी) का जिक्र किया.
तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि अमित शाह जानते हैं कि मजलिस अपने वादों को पूरा करती है. अमित शाह जानते हैं कि जब तक तेलंगाना में मजलिस मजबूत है, बीजेपी यहां अपना परचम नहीं लहरा सकती. अमित शाह ने मजलिस और ओवैसी का जिक्र किया क्योंकि वे तेलंगाना में गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग नहीं कर सकते. हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए ये नेता, जो अमित शाह की चप्पल लेकर चलते हैं, अब हमारे बारे में बोलेंगे.
'पादरी और मौलाना को क्यों नहीं साथ ले गए?'
उन्होंने कहा कि जब भारत के संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा था तब मैंने एक फोटो देखी, जिसमें हमारे प्रधानमंत्री जमीन पर लेटे हुए थे और एक अन्य वीडियो में हिंदू धर्म के 18 से 20 पुजारी मंत्र जाप करते हुए अंदर जा रहे थे. मैंने सोचा, जब आप (प्रधानमंत्री) हिंदू पुजारी को अपने साथ ले जा रहे हैं, तो ईसाई पादरी, सिखों के प्रतिनिधि, मुस्लिम समुदाय के एक मौलाना को साथ ले जाने के लिए आपके दिल में जगह क्यों नहीं थी? यह भारत की सुंदरता है.
AIMIM चीफ ने कहा कि प्रधानमंत्री जी, भारत का कोई धर्म नहीं है. भारत सभी धर्मों को मानता है. उसको भी मानता है जो किसी भी धर्म को नहीं मानता है. उन्होंने (पुजारी) बाहर पूजा-अर्चना की और अंदर भी की होगी. यह लोकसभा का उद्घाटन नहीं, बल्कि दिल्ली के सुल्तान का राज्याभिषेक लग रहा था.
फिल्म प्रचारकर बन गए हैं पीएम- ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आजकल हमारे प्रधानमंत्री फिल्म प्रचारक बन गए हैं. एक फिल्म बनी, उसका कोई गंदा नाम है. फिल्म में दिखाया गया है कि 32,000 महिलाएं आईएसआईएस में शामिल हो चुकी हैं. तब एक राजनीतिक दल की युवा शाखा ने कम से कम 32 पीड़ितों के नाम देने पर करोड़ों रुपये के पुरस्कार की घोषणा की थी. तब उन्होंने कहा कि केवल 5 पीड़ित थीं. प्रधानमंत्री कहते हैं बहुत अच्छी फिल्म है.
'ये झूठ के आधार पर फिल्म को बढ़ावा देते हैं'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी, आपसे बड़ा कोई अभिनेता नहीं है. जो तस्वीर आप पिछले 9 साल से बना रहे हैं, लोग बस खुशी से देख रहे हैं. जब ये फिल्म खत्म होगी तो देश की जनता को एहसास होगा कि ये फिल्म थी, हकीकत नहीं. फिल्म में खलनायक कौन है? एक दाढ़ी वाला आदमी, बुर्का पहने एक बहन और बाकी हीरो हैं. बीजेपी का 9 साल का काम ये ही है कि ये झूठ के आधार पर एक फिल्म को बढ़ावा देते हैं.