आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बंटवारे से जुड़े मुद्दे पर शनिवार को हुई सीएम रेवंत रेड्डी और सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू की बैठक पर विवाद छिड़ गया है. YSRCP नेता विजय साई रेड्डी ने सोशल मीडिया पर बैठक में चर्चा हुए मुद्दे पर सवाल उठाए हैं.
वाईएसआरसीपी नेता विजय साई रेड्डी ने सोशल मीडिया एक्स पर शनिवार को हुई मीटिंग पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या यह अफवाह सच है कि तेलंगाना टीटीडी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) में हिस्सेदारी के साथ-साथ आंध्र के समुद्र तट और बंदरगाहों पर हिस्सेदारी के लिए नजर गड़ाए हुए है? तो मैं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह करूंगा कि वह हैदराबाद के रेवेन्यू में हिस्सेदारी मांगे. एपी सरकार को दो मुख्यमंत्रियों की दोस्ती को आंध्र प्रदेश के लोगों के हितों से ऊपर नहीं रखना चाहिए.
क्या है अफवाह
रेवंत रेड्डी और एन. चंद्रबाबू नायडू की बैठक के बाद अफवाहें उड़ रही हैं कि तेलंगाना सरकार आंध्र प्रदेश में स्थित कृष्णापट्टनम, मछलीपट्टनम और गंगावरम बंदरगाहों में एक हजार किलोमीटर लंबे कोस्टलाइन के साथ-साथ तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के रेवेन्यू में से हिस्सा मांग सकती है.
हालांकि वाईएसआरसीपी नेता के बयान पर आंध्र सरकार की ओर से अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं है.
बैठक में क्या हुआ
शनिवार को सीएम चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम से पैदा हुए विवाद के समाधान के लिए हैदराबाद में तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी से मुलाकात कर चर्चा की. इस बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विभाजन के मुद्दे को हल करने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों की विशेष समितियां बनाना का फैसला किया है. इस समिति में दोनों राज्यों के तीन-तीन वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे जो विभिन्न मुद्दों का समाधान निकालने के लिए दो हफ्ते में बैठक करेंगे. इसके अलावा अनसुलझे मुद्दों के समाधान के लिए मंत्रियों की भी एक समिति गठित की जाएगी.
साइबर क्राइम को लेकर भी हुई चर्चा
इस बैठक में नशीली दवाओं और साइबर क्राइम से निपटने के लिए राज्यों के बीच सहयोग पर भी जोर दिया गया. इस बीच, आंध्र प्रदेश सरकार ने नशीले पदार्थों की आपूर्ति पर अंकुश लगाने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति नियुक्त की है.
बता दें कि अविभाजित आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद 2 जून, 2014 को तेलंगाना का गठन किया गया था. बंटवारे के दस साल बाद भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच संपत्ति का विभाजन, सरकारी संस्थानों का बंटवारा, बिजली बिल बकाया और बचे हुए कर्मचारियों का उनके मूल राज्यों में हस्तांतरण जैसे मुद्दे को लेकर विवाद चल रहा है.