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ओवैसी की सलामती के लिए 101 बकरों की बलि देने वाले बिजनेसमैन के खिलाफ FIR दर्ज, PETA ने की थी शिकायत

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की सलामती और उनकी लंबी उम्र के लिए 101 बकरों की बलि देने वाले हैदराबाद के कारोबारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पेटा इंडिया ने मामले की जानकारी के बाद बलि देने वाले कारोबारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

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असदुद्दीन ओवैसी. -फाइल फोटो
असदुद्दीन ओवैसी. -फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • PETA इंडिया दर्ज कराई थी शिकायत
  • हैदराबाद के कारोबारी ने दी थी बकरों की बलि
  • यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान हुआ था ओवैसी पर हमला

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की सलामती के लिए 101 बकरों की कुर्बानी देने वाले हैदराबाद के कारोबारी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी पर यूपी चुनाव प्रचार के दौरान फायरिंग की घटना हुई थी. इसके बाद हैदराबाद के कारोबारी ने उनकी सलामती और लंबी उम्र के लिए 101 बकरों की कुर्बानी दी थी. इसकी जानकारी के बाद हैदराबाद के कारोबारी के खिलाफ PETA इंडिया ने शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद FIR दर्ज की गई है.

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मामले की जानकारी के बाद पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने पुलिस से संपर्क किया था. इसके बाद धारा 4 और 5 (बी) के तहत जिसे तेलंगाना पशु और पक्षी बलिदान निषेध अधिनियम, 1950 की धारा 6 और 8 के साथ पढ़ा जाता है और और धारा 3, 11(1)(ए), 11(1)( एल) और 38(3) जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पीसीए) अधिनियम, 1960 के तहत मामला दर्ज किया गया है. बता दें कि कारोबारी ने 6 फरवरी को बाग-ए-जहांआरा, मदनपेट कॉलोनी, हैदराबाद में बकरों की बली दी थी. 

पेटा इंडिया ने अपनी शिकायत में ये कहा

PETA इंडिया ने अपनी शिकायत में कहा है कि तेलंगाना पशु और पक्षी बलिदान निषेध अधिनियम, 1950 की धारा 5 (बी) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जानबूझकर किसी भी स्थान पर या उनके अधिकार के तहत किसी भी कुर्बानी की अनुमति नहीं देगा. धारा 4 किसी को भी किसी भी जानवर की बलि देने से प्रतिबंधित करती है. धारा 8 अधिनियम के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय बनाती है.
 
पशु अधिकार संगठन ने कहा कि खाने के मांस के लिए जानवरों की बलि और हत्या के संबंध में दो मामलों पर आदेशों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जानवरों का केवल आधिकारिक रूप से लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही वध किया जा सकता है और नगरपालिका अधिकारियों को इस फैसले का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए. जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम (वधशाला) नियम, 2001 और खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियम 2011, केवल प्रजातियों-विशिष्ट आश्चर्यजनक उपकरणों से लैस लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में मांस के लिए जानवरों के वध की अनुमति देते हैं. 
 
गुजरात, केरल, पुडुचेरी और राजस्थान में पहले से ही कानून हैं जो किसी भी मंदिर या उसके परिसर में किसी भी जानवर के धार्मिक बलिदान को प्रतिबंधित करते हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना किसी भी सार्वजनिक धार्मिक पूजा या पूजा स्थल के परिसर में या सार्वजनिक रूप से सड़क पर धार्मिक पूजा से जुड़े किसी भी मंडली या जुलूस में इसे प्रतिबंधित किया गया है.

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