प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस दिन चुनाव जीतने के लिए वोटर्स को फ्री की योजनाओं से लुभाने को लेकर विपक्ष पर हमला किया. उसी दिन कांग्रेस ने तेलंगाना में भी चुनाव में सफल हो चुके फॉर्मूले के साथ लड़ने का फैसला किया है. कर्नाटक में हाल ही चुनावी सफलता को देखते हुए कांग्रेस ने चुनावी राज्य तेलंगाना में भी गारंटी देने का फैसला किया है. इसी साल के आखिर में राज्य में चुनाव होने हैं.
तेलंगाना में चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में बैठक हुई. इसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राज्य प्रभारी माणिक राव ठाकरे, प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और राज्य के सीनियर नेता शामिल हुए.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी और खड़गे ने नेताओं से कहा कि वे आपस में चर्चा करें और लोगों से भी फीडबैक लें कि चुनाव से पहले क्या गारंटी का वादा किया जाना चाहिए. इसके अलावा राहुल गांधी ने तेलंगाना के नेताओं से यह भी कहा कि वे एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से न बोलें, बल्कि पार्टी मंच पर अपनी बात रखें.
BRS से गठबंधन नहीं करेगी कांग्रेस
इस बैठक में कांग्रेस लीडरशिप ने राज्य के नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति के साथ राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन नहीं होगा. राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को कर्नाटक में जीत का खाका मिल गया है और इसे दक्षिणी राज्य तेलंगाना में भी दोहराया जाना चाहिए. इस बैठक में मौजूद एक सीनियर नेता ने आजतक को बताया कि राज्य में होने वाले चुनावों में भ्रष्टाचार मुख्य मुद्दों में से एक होगा और केसीआर सरकार को बदनाम करने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी.
कांग्रेस ने BRS को दिया है बड़ा झटका
कांग्रेस ने बीआरएस को बीते सोमवार को बड़ा झटका दिया, जब 10 से ज्यादा पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री और कई पदाधिकारी दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए. इन नेताओं ने पूर्व सांसद पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी, पूर्व मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव, पूर्व विधायक पन्याम वेंकटेश्वरलु, कोरम कनकैया, कोटा राम बाबू और बीआरएस एमएलसी नरसा रेड्डी के बेटे राकेश रेड्डी शामिल थे. इस मीटिंग के बाद पी श्रीनिवास रेड्डी और जुपल्ली कृष्णा राव की बाद 10 जनपथ पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की थी.