तेलंगाना विधानसभा चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प है. जहां एक ओर राज्य के सीएम केसीआर दूसरी बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस, टीडीपी, लेफ्ट और तेलंगाना एक्शन कमेटी ने आपस में हाथ मिलाकर केसीआर को मात देने की तैयारी कर रहे हैं. जबकि, बीजेपी और AIMIM किंग मेकर बनने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
बता दें कि तेलंगाना की 119 सीटों वाली विधानसभा में केसीआर की पार्टी टीआरएस के 90 विधायक हैं. बीजेपी को केवल 5 विधायकों से संतोष करना पड़ा था. जबकि कांग्रेस को 13, टीडीपी को 3 सीपीआई को एक सीट मिली थी. वहीं, ओवैसी की पार्टी AIMIM के 7 विधायक हैं.
2014 में बने तेलंगाना राज्य की सियासत में टीआरएस का किला अब भी मजबूत नजर आ रहा है. केसीआर ने पांच साल में जिस तरह से अपनी पार्टी और संगठन का विस्तार किया है, वैसा बीजेपी सहित दूसरी पार्टी नहीं कर सकी हैं.
हालांकि केसीआर को मात देने के लिए कांग्रेस ने टीडीपी के साथ दुश्मनी भुलाकर हाथ मिला लिया है. कांग्रेस, टीडीपी, लेफ्ट और तेलंगाना एक्शन कमेटी ने गठबंधन किया है. हालांकि इस गठबंधन में कांग्रेस 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बाकी बची 29 सीटें सहयोगी दल के खातें गई है.
दक्षिण भारत के तेलंगाना में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. लिहाजा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM किंग मेकर बनने की कोशिश में है. ओवैसी का एक ठोस वोट बैंक है जिसके चलते मौजूदा समय में उनके पास अभी सात विधायक हैं. हालांकि कांग्रेस सहित कई पार्टी ओवैसी और केसीआर के बीट पर्दे के पीछे गठबंधन का आरोप लगाती है.
तेलंगाना में बीजेपी कमल खिलाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. लेकिन बीजेपी के लिए टीआरएस के वोट में सेंधमारी करना पाना टेढ़ी खीर है. हालांकि बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी का लक्ष्य तेलंगाना विधानसभा चुनाव में इतनी सीटें जीतना है जिसके दम पर वो राज्य में सरकार बनाते वक्त किंगमेकर की भूमिका में आ जाए.
बीजेपी ने तेलंगाना में 20 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. अभी वहां पार्टी के 5 विधायक हैं. लेकिन, अब पार्टी ने इस संख्या को बढ़ाने पर अपना पूरा फोकस कर रखा है. पार्टी की तरफ से तेंलगाना को लेकर बन रहे समीकरण और वहां चुनावी जीत की जमीन तैयार करने के लिए ही हैदराबाद में बीजेपी युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एस जयपाल रेड्डी ने रविवार को आरोप लगाया कि तेलंगाना में टीआरएस और बीजेपी के बीच अघोषित से ज्यादा का गठबंधन है और संभव है कि दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव के बाद हाथ मिला लें.
अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण भी सियासी किसमत आजमा रहे हैं. कल्याण की जन सेना पार्टी बसपा के साथ गठबंधन कर सकती है. पवन कल्याण ने इसं संबंध में पिछले महीने बसपा प्रमुख मायावती से मुलाकात भी की थी. हालांकि बसपा ने 119 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन जन सेना पार्टी के लिए कुछ सीटें छोड़ने की बात कही थी. साउथ सुपरस्टार चिरंजीवी के छोटे भाई पवन कल्याण ने 2014 में पार्टी का गठन किया था.