शुक्रवार की रात से राज्य सरकार परिवहन के करीब 50 हजार कर्मचारी अपनी मांगों के लिए हड़ताल पर बैठ गए थे. हड़ताल की वजह से यात्रियों को काफी परेशानी हुई, लेकिन सरकार इनकी मांगों के आगे नहीं झुकी.
रविवार को मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर बैठक बुलाई और साफ अल्टीमेटम दिया कि अगर निश्चित समय के अंदर हड़ताल करने वाले कर्मचारी वापस नहीं आए तो उन्हें नौकरी पर नहीं माना जाएगा. सरकार ने अभी भी कर्मचारियों को 15 दिन का समय दिया है, इसी बीच विचार किया जाएगा कि इन्हें वापस नौकरी पर लेना है या नहीं.
मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद राज्य में बीजेपी और कांग्रेस सरकार का विरोध कर रही हैं और बस कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने वाले फैसले को वापस करने की बात कह रही हैं.
त्योहारी सीजन में बढ़ गई परेशानी
हड़ताल की वजह से सैकड़ों यात्री बस स्टेशनों में फंस गए हैं. 10,000 से अधिक बसें बस डिपो में ही रहने के कारण दशहरा और बतुकम्मा त्योहार के लिए घर जा रहे यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी 2100 बसों को किराए पर लेकर अस्थायी चालकों और अन्य श्रमिकों को तैनात कर बस सेवा को जैसे-तैसे संचालित कर रहे हैं, सेवा में कुछ स्कूली बसों को भी लगाया गया है.
क्या हैं मांगें?
इन कर्मचारियों की मांग थी कि उनका सरकारी सिस्टम में विलय किया जाए. इसके अलावा वेतन पुनरीक्षण, नौकरी की सुरक्षा, बकाया राशि का भुगतान और रिक्तियों को सरकार की तरफ से भरा जाए. संगठन के अनुसार काम कर रहे 50 फीसदी से ज्यादा लोग अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं, इन्हें पक्का किया जाए. इसके अलावा बसों की संख्या भी बढ़ाई जाए.