तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने स्पष्ट कर दिया है कि हड़ताल करने वाले रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (आरटीसी) के जिन कर्मचारियों ने दी गई समयावधि में ड्यूटी जॉइन नहीं की है, उन्हें दोबारा नौकरी में लेने का सवाल नहीं उठता. मुख्यमंत्री के मुताबिक प्रदेश के हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी.
रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की हड़ताल के तीसरे दिन रविवार को मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने उच्चस्तरीय बैठक की और साफ किया कि हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के सामने राज्य सरकार किसी भी कीमत पर झुकने वाली नहीं है.
मर्जर की मांग खारिज
सरकार ने शुक्रवार देर रात सख्त कदम उठाते हुए चेतावनी दी थी कि जो लोग शनिवार शाम छह बजे तक ड्यूटी पर आएंगे, उन्हें ही टीएसआरटीसी कर्मचारी माना जाएगा. सरकार ने कहा था कि बाकी को कभी भी संगठन में वापस काम पर नहीं रखा जाएगा.
इसके साथ ही उन्होंने रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को राज्य सरकार में मर्जर करने की मांग को भी खारिज कर दिया. आपको बता दें कि रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के कर्मचारी राज्य सरकार में मर्जर की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
कर्मचारियों के समर्थन में कांग्रेस
रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के कर्मचारियों को बर्खास्त करने के चंद्रशेखर राव के आदेश की कांग्रेस पार्टी ने कड़ी आलोचना की है. तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के कर्मचारियों को बर्खास्त करने के चंद्रशेखर राव के आदेश की हम कड़ी निंदा करते हैं. हम हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के साथ खड़े हैं. हम इस लड़ाई में उनका साथ भी देंगे. हम रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को राज्य सरकार में मिलाने का समर्थन करते हैं.
क्या है पूरा मामला?
बस हड़ताल के कारण पूरे राज्य की सड़कों से टीएसआरटीसी की बसें नदारद हैं. सैकड़ों यात्री बस स्टेशनों में फंस गए हैं. 10,000 से अधिक बसें बस डिपो में ही रहने के कारण दशहरा और बतुकम्मा त्योहार के लिए घर जा रहे यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के अधिकारी 2100 बसों को किराए पर लेकर अस्थायी ड्राइवरों को तैनात कर बस सेवा को जैसे-तैसे चला रहे हैं. सेवा में कुछ स्कूली बसों को भी लगाया गया है.
टीएसआरटीसी कर्मचारी यूनियनों की जॉइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) का दावा है कि इस हड़ताल में सभी 50,000 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया है. जेएसी नेताओं का कहना है कि हड़ताल पर गए कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने की सरकार की धमकी से वे नहीं डरते हैं. दरअसल, सरकार ने घोषणा की थी कि यह हड़ताल गैर-कानूनी है और जो भी कर्मचारी शनिवार शाम को काम पर नहीं आते हैं, उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा.