तमिलनाडु के बाद तेलंगाना में सरकार और राज्यपाल के बीच ठन गई है. दरअसल तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने गुरुवार को राजभवन में गणतंत्र दिवस पर 'एट होम' की मेजबानी की थी. उन्होंने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और उनकी कैबिनेट को न्योता दिया था लेकिन उन्होंने कार्यक्रम से दूरी बना ली.
इससे पहले दिन में सीएम ने राजभवन में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में भी भाग नहीं लिया था. तेलंगाना में कोई आधिकारिक परेड नहीं निकाली. वहीं राज्यपाल ने राजभवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद कहा था कि वह राज्य के लोगों के लिए काम करेंगी, हालांकि कुछ लोग उन्हें पसंद नहीं करेंगे.
सरकार ने संविधान का सम्मान नहीं किया
राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने सीएम केसीआर के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल नहीं होने पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार यह चाहती थी कि मैं अपने राजभवन में ही ध्वज फहराऊं. तेलंगाना सरकार ने गणतंत्र दिवस पर प्रदेश में कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया.
उन्होंने सीएम को प्रदेश में भव्य तरीके से गणतंत्र दिवस समारोह मनाने के लिए दो महीने पहले पत्र लिखा था. इस पर सरकार ने कहा कि कार्यक्रम राजभवन में ही आयोजित किया जाए. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के लिए केंद्र के निर्देशों का पालन ही नहीं किया. तेलंगाना सरकार ने संविधान का सम्मान नहीं किया, यह घटना इतिहास में दर्ज होगी.
राज्यपाल ने सरकार पर परंपराओं के निर्वहन में उल्लंघन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह संविधान निर्माता डॉ बीआर आंबेडकर के विचारों के खिलाफ है. वह इस तरह के उल्लंघनों से तंग आ गई हैं.
हाई कोर्ट के आदेश को भी नहीं माना
तेलंगाना हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार गणतंत्र दिवस समारोह भव्य तरीके से आयोजित किया जाए, जिसमें औपचारिक परेड हो. कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार गणतंत्र दिवस समारोह जनता की भागीदारी के साथ आयोजित करे लेकिन भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार, औपचारिक परेड और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ राजभवन परिसर में समारोह मनाने को लेकर अड़ी रही.
मालूम हो कि पिछले साल कोरोना प्रतिबंधों के चलते तेलंगाना सरकार ने गणतंत्र दिवस पर पुलिस परेड का आयोजन नहीं किया था. वह इस बार भी राजभवन में कार्यक्रम आयोजित करने और परेड न करने की पक्ष में थी. सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए सरकार को भव्य तरीके से औपचारिक परेड निकालने को कहा था.