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तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में शनिवार को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) परियोजना के तहत बनाई जा रही सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया, इससे 8 लोग सुरंग में फंस गए. राज्य सरकार ने कहा कि घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. भारतीय सेना, एनडीआरएफ और विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है. देर रात एक SDRF कर्मी ने कहा कि सुरंग के अंदर जाना संभव नहीं, घुटनों तक कीचड़ भरी है, हमें कोई दूसरा रास्ता अपनाना होगा.
तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने घटनास्थल पर पहुंचकर जानकारी दी कि उत्तराखंड के जोशीमठ में पिछले साल हुई सुरंग दुर्घटना में काम करने वाले विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है. इसके अलावा भारतीय सेना और एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर तैनात हैं. रेस्क्यू टीम ने सुरंग में फ्रेश एयर भेजने की व्यवस्था की है, ताकि फंसे हुए लोगों को सांस लेने में परेशानी न हो.
पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से फोन पर बातचीत कर हादसे की जानकारी ली और केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.
राज्य सरकार हर संभव कोशिश कर रहीः राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस हादसे को लेकर दुख जताया और उनकी सुरक्षा की उम्मीद जताई. X पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा कि मुझे बताया गया है कि बचाव अभियान चल रहा है और राज्य सरकार आपदा राहत दलों के साथ मिलकर खतरे में पड़े लोगों को जल्द से जल्द वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
झारखंड के सीएम बोले- मदद पहुंचाने के लिए तैयार
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल टनल हादसे में झारखंड समेत अन्य राज्यों के कुछ श्रमिकों के फंसे होने की खबर मिली है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से आग्रह है कि टनल हादसे में हरसंभव मदद पहुंचाने की कृपा करें. मैं मरांग बुरु से हादसे में फंसे सभी श्रमिकों के सुरक्षित होने की कामना करता हूं, झारखंड सरकार, तेलंगाना सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर हर पल की जानकारी ले रही है, हम हर जरूरी मदद पहुंचाने के लिए तैयार हैं.
कौन-कौन फंसा है टनल में?
- दो इंजीनियर (एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से)
- दो ऑपरेटर (अमेरिकी कंपनी से)
- चार मज़दूर (उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से)
कैसे हुआ हादसा?
पीटीआई के मुताबिक शनिवार सुबह 200 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन के साथ पहली शिफ्ट में 50 से अधिक लोग सुरंग के अंदर गए. वह टनल के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए, इसी दौरान सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया. मशीन के आगे चल रहे 2 इंजीनियर सहित आठ लोग वहां फंस गए, जबकि 42 अन्य सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर निकल आए. बताया जा रहा है कि अचानक पानी के साथ मिट्टी बहकर आने लगी और सुरंग का ऊपरी हिस्सा बैठ गया. बचाव टीमों को 14 किलोमीटर अंदर मलबा जमा होने की वजह से रास्ता साफ करने में कठिनाई हो रही है. इसलिए ड्रोन के जरिए हालात का जायजा लिया जा रहा है. हालांकि, सुरंग के भीतर से अब भी तेज़ आवाजें आ रही हैं, जिससे बचाव दल अंदर जाने में हिचकिचा रहे हैं.
राज्य सरकार ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं, उन्होंने अधिकारियों को बचाव अभियान तेज़ करने का निर्देश दिया है. सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL) के 19 विशेषज्ञों की टीम भी मौके पर पहुंच चुकी है, जिसके पास ऐसे हादसों में राहत कार्य करने का अनुभव है.
44 किमी लंबी सुरंग पर जारी था काम
मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी के मुताबिक यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग (44 किमी) होने वाली है, जिससे श्रीशैलम प्रोजेक्ट का पानी नलगोंडा जिले के चार लाख एकड़ कृषि भूमि तक पहुंचाया जाएगा. अभी तक 9.5 किमी सुरंग का काम बाकी है.
अभी क्या हो रहा है?
- रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा
- ड्रोन से अंदर की स्थिति का विश्लेषण किया जा रहा है
- सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और SCCL की टीमें लगी हुई हैं
केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने भी जताई चिंता
केंद्रीय कोयला मंत्री गिरीश किशन रेड्डी ने हादसे पर चिंता जताई और अधिकारियों से हादसे की वजह और बचाव कार्य की जानकारी मांगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई घायल हुआ है तो उसे तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जाए.