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तेलंगाना टनल हादसा: स्टील की सात परतों के नीचे दबा था मजदूर का शव, 48 घंटे की खुदाई के बाद निकाला गया

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने गुरप्रीत सिंह की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया. शव को बाहर निकालने के बाद नागरकुरनूल के सिविल अस्पताल भेजा गया, जहां पोस्टमार्टम और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी. अधिकारियों ने बताया कि शव को निकालने के लिए 48 घंटे तक बेहद सावधानीपूर्वक खुदाई की गई. शव करीब 10 फीट गहरी मिट्टी के नीचे दबा हुआ था.

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तेलंगाना टनल की एक तस्वीर
तेलंगाना टनल की एक तस्वीर

तेलंगाना के नागरकुरनूल में आंशिक रूप से धंसी एसएलबीसी टनल में फंसे आठ मजदूरों को बचाने के लिए पिछले दो हफ्ते से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत रविवार को बचाव दल ने 10 फीट गहरी मिट्टी के नीचे से एक शव बरामद किया.

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मृतक की पहचान पंजाब के गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है, जो टनल निर्माण में लगी अमेरिकी कंपनी 'रॉबिन्स को' के लिए काम कर रहे थे. वह एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ऑपरेटर थे. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बाएं कान में पहने गए कुंडल और दाहिने हाथ पर बने टैटू के आधार पर गुरप्रीत सिंह की पहचान की गई.

48 घंटे की खुदाई के बाद निकाला गया शव

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने गुरप्रीत सिंह की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया. शव को बाहर निकालने के बाद नागरकुरनूल के सिविल अस्पताल भेजा गया, जहां पोस्टमार्टम और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी. अधिकारियों ने बताया कि शव को निकालने के लिए 48 घंटे तक बेहद सावधानीपूर्वक खुदाई की गई. शव करीब 10 फीट गहरी मिट्टी के नीचे दबा हुआ था.

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स्टील की सात परतों के नीचे दबा शव
 
एक बचावकर्मी ने बताया कि कैडावर डॉग्स (शवों की गंध पहचानने वाले खोजी कुत्ते) की मदद से सुरंग के अंदर दो स्थानों की पहचान की गई थी. इसके बाद विभिन्न एजेंसियों, जिनमें 'रैट माइन्स' विशेषज्ञ भी शामिल थे, की मदद से खुदाई शुरू की गई.

बचावकर्मी ने बताया, 'शनिवार रात करीब आधी रात को एक हाथ दिखा. शव पर सात परतों में स्टील था. हमने सावधानी से स्टील काटा और शव को बाहर निकाला.' नागरकुरनूल के जिला कलेक्टर बड़ावथ संतोष ने घोषणा की है कि गुरप्रीत सिंह के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. शव को विशेष एम्बुलेंस से पंजाब भेजने की तैयारी की जा रही है.

सात मजदूरों की तलाश जारी

इस बीच, बाकी सात मजदूरों की तलाश जारी है. बचाव कार्य में कई चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें टनल में पानी का रिसाव, कीचड़ और मलबा शामिल हैं. हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) ने ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) की मदद से संभावित स्थानों की पहचान करने का प्रयास किया, लेकिन कठिन परिस्थितियों के चलते कुछ स्थानों की खुदाई में कोई मानव उपस्थिति नहीं मिली.

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