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जहां धंसी टनल, वहां पहुंच गई NDRF की टीम, राहुल गांधी ने भी CM रेड्डी से की बात... जानिए रेस्क्यू में अब तक के बड़े अपडेट

कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार NDRF की टीम तेलंगाना की टनल के अंदर धंसे हिस्से तक पहुंच गई. हालांकि, अब तक फंसे वर्कर्स का कोई पता नहीं चल पाया है. हादसे वाली जगह में करीब 200 मीटर के क्षेत्र में मलबा भरा हुआ है. श्रमिकों को बचाने के लिए इस मलबे को हटाना होगा.

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तेलंगाना में हुए टनल हादसे के बाद कड़ी मशक्कत कर NDRF की टीम किसी तरह घटनास्थल तक पहुंची. (File Photo)
तेलंगाना में हुए टनल हादसे के बाद कड़ी मशक्कत कर NDRF की टीम किसी तरह घटनास्थल तक पहुंची. (File Photo)

तेलंगाना में टनल का हिस्सा धंसने के बाद 8 वर्कर्स को बचाने की जद्दोजहद जारी है. सेना के साथ-साथ NDRF और SDRF की टीमें भी जी-जान लगाकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. अब भी रेस्क्यू में कई बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं. हालांकि, थोड़ी राहत की बात यह है कि रेस्क्यू टीम टनल के 13 किलोमीटर अंदर उस स्थान तक पहुंच गई है, जहां पर सुरंग का हिस्सा धंसा है. लेकिन कीचड़ और पानी रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी बाधा बन रहे हैं.

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टनल के अंदर पहुंची NDRF की टीम के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने बताया,'कल रात (22 फरवरी) करीब 10 बजे हमारी टीम स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सुरंग के अंदर गई. सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर की दूरी में से 11 किलोमीटर हमने लोकोमोटिव पर और बाकी बचा 2 किलोमीटर का हिस्सा कन्वेयर बेल्ट के जरिए तय किया. जब हम टीएमवी (टनल बोरिंग मशीन) के अंत में पहुंचे तो हमने वहां फंसे श्रमिकों के नाम पुकारे. इस तरह हमने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हमें वहां कुछ नहीं मिला. फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी तक पता नहीं चल पाया है.'

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टनल में हादसे वाली जगह के बारे में बताते हुए कमांडर सुखेंदु ने कहा,'जहां टनल धंसी है, वहां 200 मीटर का पैच मलबे से भरा हुआ है. जब तक यह मलबा साफ नहीं हो जाता, हम फंसे हुए श्रमिकों के सही स्थान का पता नहीं लगा पाएंगे और उन्हें बचा नहीं पाएंगे. सुरंग के 11 से 13 किलोमीटर के बीच के पैच में पानी भरा हुआ है और जब तक पानी नहीं निकल जाता, तब तक मलबा सफाई का काम शुरू नहीं हो पाएगा. फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए पहले हमें पानी निकालने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी और फिर मलबा हटाना होगा.' 

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कौन-कौन फंसा है टनल में?

> दो इंजीनियर (एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से)
> दो ऑपरेटर (अमेरिकी कंपनी से)
> चार मजदूर (उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से)

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कैसे हुआ हादसा?

जानकारी के मुताबिक तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एसएलबीसी सुरंग में 22 फरवरी की सुबह 200 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन के साथ पहली शिफ्ट में 50 से ज्यादा लोग सुरंग के अंदर गए. वह टनल के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए, इसी दौरान सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया. मशीन के आगे चल रहे 2 इंजीनियर सहित 8 लोग वहीं फंस गए, जबकि 42 कर्मचारी सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर निकल आए. बताया जा रहा है कि अचानक पानी के साथ मिट्टी बहकर आने लगी और सुरंग का ऊपरी हिस्सा बैठ गया. बचाव टीमों को 14 किलोमीटर अंदर मलबा जमा होने की वजह से रास्ता साफ करने में कठिनाई हो रही है. इसलिए ड्रोन के जरिए हालात का जायजा लिया जा रहा है.

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44 किमी लंबी सुरंग पर जारी था काम

मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी के मुताबिक यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग (44 किमी) होने वाली है, जिससे श्रीशैलम प्रोजेक्ट का पानी नलगोंडा जिले की 4 लाख एकड़ कृषि भूमि तक पहुंचाया जाएगा. अभी 9.5 किमी सुरंग का काम बाकी है. बता दें कि टनल हादसे में फंसे मजदूर इस प्रोजेक्टर पर ही कम कर रहे थे.

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राहुल गांधी ने CM रेवंत रेड्डी से की बात

इस हादसे को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीनियर कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने आज तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से फोन पर बात की. करीब 20 मिनट तक दोनों की बीच हुई बातचीत में सीएम रेड्डी ने राहुल गांधी को रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताया. इस दौरान राहुल गांधी ने फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए सभी जरूरी प्रयास करने के लिए कहा.

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