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तेलंगाना राज्य बनाने का क्रेडिट लेने की होड़, 23 को सोनिया की रैली

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 23 नवंबर को तेलंगाना में बड़ी रैली को संबोधित करेंगी. तेलंगाना के गठन के बाद यह सोनिया गांधी का राज्य में पहला दौरा है.

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सोनिया गांधी (फाइल फोटो: पीटीआई)
सोनिया गांधी (फाइल फोटो: पीटीआई)

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लंबे समय के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी चुनाव प्रचार में उतरने जा रही हैं. सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 23 नवंबर को तेलंगाना के मेडचल में  चुनावी सभा को संबोधित करेंगे.  

पब्लिक को बताना है कि राज्य किसने बनाया

तेलंगाना में होने वाली इस रैली को लेकर अभी से ही कांग्रेस और सत्ताधारी टीआरएस में सियासी जुमलेबाजी तेज हो गई है. एक तरफ तेलंगाना कांग्रेस के नेता सोनिया गांधी को 'मदर ऑफ तेलंगाना' बता रहे हैं, तो वहीं टीआरएस के नेता के चंद्रशेखर राव को 'फादर ऑफ तेलंगाना' बता रहे हैं. दरअसल कांग्रेस के नेतृत्व में टीडीपी, तेलंगाना जन समिति और सीपीआई के बीच राज्य में बना 'प्रजाकुटामी' यानी 'जनता का गठबंधन', यूपीए की मुखिया सोनिया के दम पर केसीआर को चुनौती देना चाहता है, जो खुद को तेलंगाना के निर्माता बताते हैं.

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प्रजाकुटामी के पास तेलंगाना के गठन का श्रेय लेने की वजह भी हैं, क्योंकि राज्य निर्माण के बाद जून 2014 में पहली बार विधानसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री केसीआर ने विधानसभा के फ्लोर से कहा था कि सभी को यह बात याद रखनी चाहिए कि यदि आज तेलंगाना अस्तित्व में है तो इसकी वजह सोनिया गांधी हैं. जिन्होंने इस मांग का पूरा समर्थन किया और इसे हकीकत में बदला.

अब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी तेलंगाना के गठन के बाद पहली बार राज्य में आ रही हैं. लिहाजा 23 नवंबर को मेडचल में होने वाली इस रैली के लिए व्यापक तौर पर तैयारियां की जा रही हैं. जिसमें 70 विधानसभा क्षेत्रों में एलईडी स्क्रीन लगाई जा रही हैं ताकि राज्य की ज्यादा से ज्यादा जनता सोनिया गांधी को सुन सके. इस जनसभा में कई सामाजिक संगठन तेलंगाना के गठन में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए सोनिया गांधी को सम्मानित भी करेंगे.

ईसाई मतों को लुभाने की कवायद?

हाल ही में तेलंगाना कांग्रेस में घोषणापत्र को लेकर चल रहे मंथन के बीच तेलंगाना कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की 10 मांगें चर्चा में थी जिसमें ईसाई बिशप, पास्टर की रक्षा, हर मंडल में चर्च के लिए जमीन, ईसाई तीर्थाटन के लिए सब्सिडी, लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में ईसाईयों के लिए सीट, ईसाई पत्रकारों के लिए घर और स्वास्थ्य सुविधा जैसी मांगे शामिल थीं. तब तेलंगाना कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि यह महज मांगे हैं और घोषणापत्र का हिस्सा नहीं हैं.

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माना जा रहा है कि इस विशाल जनसभा में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी 'जनता का घोषणापत्र' भी जारी करेंगी. सूत्रों के मुताबिक इस घोषणापत्र में सभी रोगों का मुफ्त इलाज, भूमिधरों को घर बनाने के लिए 5 लाख का लोन, 3000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता, तेलंगाना निर्माण के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों को पेंशन और किसानों की कर्जमाफी जैसे वायदे शामिल हो सकते हैं.

कर्नाटक के बाद तेलंगाना को चुना

हाल में संपन्न कर्नाटक विधानसभा चुनाव में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 21 महीने के ब्रेक के बाद दो रैलियां की थीं. इससे पहले उन्होंने 2 अगस्त 2016 को उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में रोड शो किया था. लेकिन रोड शो के समापन स्थल से चंद किलोमीटर दूर उनकी तबियत खराब हो जाने की वजह से बीच में ही छोड़कर उन्हें दिल्ली आना पड़ा.  इसके बाद उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, हिमांचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों से भी सोनिया दूर रहीं.

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हालांकि सोनिया गांधी हिमांचल प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले वे अक्टूबर 2017 में शिमला गईं थीं. लेकिन यह चुनावी दौरा नहीं था, बल्कि वो छुट्टी पर गई थीं और इस दौरान तबियत खराब होने की वजह से उन्हें बीच में ही वापस आना पड़ा. इसके बाद उन्हें दिसंबर 2017 में गोवा में एक रिजॉर्ट में छुट्टी के दौरान साइकिलिंग करते देखा गया. यह भी चुनावी दौरा नहीं था.

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अब मई 2018 के बाद सोनिया गांधी एक बार फिर चुनावी समर में कांग्रेस के लिए प्रचार करने जा रही हैं. उनकी इस रैली का तेलंगाना विधानसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा इसका नतीजा तो 11 दिसंबर को ही पता चलेगा.

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