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कौन हैं तेलंगाना की के कविता? जिनके तार दिल्ली के शराब घोटाले से जुड़ रहे हैं

तेलंगाना की के कविता का नाम दिल्ली के शराब घाटाला केस से जोड़ा जा रहा है. ईडी ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के कथित सहयोगी और गुरुग्राम के व्यवसायी अमित अरोड़ा की रिमांड कॉपी में कहा है कि अरोड़ा ने पिछले एक साल में टीआरएस (अब BRS) एमएलसी कविता समेत कई लोगों से संपर्क किया था.

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के कविता (File Photo)
के कविता (File Photo)

राजधानी दिल्ली के शराब घोटाले की जांच की आंच धीरे-धीरे तेलंगाना तक पहुंच गई है. इसी क्रम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और भारतीय राष्ट्र समिति (BRS) से एमएलसी के. कविता के हैदराबाद के बंजारा हिल्स में स्थित घर पर सीबीआई पहुंची थी. दिल्ली शराब घोटाला केस में गवाह के तौर पर उनका बयान दर्ज किया जा चुका है.

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एक दिन पहले ही 11 दिसंबर को सीबीआई अधिकारियों ने कविता से 7:30 घंटे से भी ज्यादा समय तक पूछताछ की थी. सीबीआई के अधिकारी सुबह 11 बजे उनके आवास पर पहुंचे थे और शाम 6:30 बजे तक उनसे पूछताछ की थी. कविता ने सीबीआई अधिकारियों द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब दिया था.

शराब घोटाले में कैसे आया नाम?

ईडी ने शराब घोटाला रिमांड रिपोर्ट में टीआरएस एमएलसी कविता का नाम लिया है. अमित अरोड़ा के बयान के आधार पर रिमांड रिपोर्ट में कविता का नाम आया था.

अमित अरोड़ा के संपर्क में कविता

गौरतलब है कि ईडी ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के कथित सहयोगी और गुरुग्राम के व्यवसायी अमित अरोड़ा की रिमांड कॉपी में कहा है कि अरोड़ा ने पिछले एक साल में टीआरएस (अब BRS) एमएलसी कविता समेत कई लोगों से संपर्क किया था. अमित अरोड़ा को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का बेहद करीबी माना जाता है. अरोड़ा गुरुग्राम स्थित बडी रिटेल के निदेशक हैं. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कविता को भी जांच के दायरे में ले लिया था.

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अरोड़ा ने 10 बार किया था संपर्क

ईडी ने अमित अरोड़ा की रिमांड कॉपी में बताया कि कथित आबकारी नीति घोटाला होने के दौरान अमित ने के कविता, मनीष सिसोदिया और कैलाश गहलोत जैसे राजनेताओं 32 आरोपियों और संदिग्धों ने से फोन पर बात की थी. उसने TRS MLC कविता से दो अलग-अलग नंबरों के जरिए करीब 10 बार संपर्क किया था. मीडिया रिपोर्ट़्स के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कविता ने एक अन्य बिजनेसमैन के जरिए आम आदमी पार्टी के नेताओं को 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.

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