कोरोना के इस बेहद भयावह दौर में इंसान मजबूरी की सारी हद तक पहुंच चुका है. कहीं ऑक्सीजन की कमी से उखड़ती सांसें हैं तो कहीं दवाई की कमी से दम घुट रहा है. कहीं बेड्स की कमी से दर भटकते मरीज हैं तो कहीं श्मशान पर जमीन कम पड़ रही है. इसी बदहाली में प्रशासन की लापरवाही का एक और मामला उत्तर प्रदेश के उन्नाव से सामने आया है. इनपुट: विशाल चौहान
दरअसल, कोरोना संक्रमण की इस महामारी में लाशों के अंबार को तो लोगों ने शायद नियति मान कर चुप्पी साध ली, लेकिन बक्सर के घाट पर एक और मंजर सामने आया है. लोग जब अपने परिजनों को अंतिम संस्कार के लिये घाट पर लाए तो अंतिम संस्कार के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं मिली.
प्रतीकात्मक तस्वीर: PTI
किसी ने लकड़ी की कमी तो किसी ने पैसे की कमी के चलते लाशों को रेत में ही दफना दिया. लाशों के आने का सिलसिला जब काबू से बाहर हो गया तो लाशों की भनक जानवरों को लगी और वो मंजर सामने आया जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे. लाशों को कुत्ते और चील-कौवे नोच रहे थे तो प्रशासन को इसकी जानकारी मिली.
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आनन-फानन में गंगा नदी के बीच बने रेत के टीले पर अधखुली और नोची हुई लाशों पर प्रशासन ने रेत डाल दी. गंगा किनारे सैकड़ों लाशों को ऐसे ही अधखुली हालत में छोड़ दिया गया. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.
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